'PoK को खाली करे पाकिस्तान', ट्रंप की मध्यस्थता के बीच भारत का पड़ोसी देश को अल्टीमेटम

Published on: 13 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में मैसेज दे दिया कि अब उसे PoK को खाली करना होगा. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत कश्मीर के मुद्दे पर किसी की भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा. बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका पाकिस्तान और भारत के बीच लंबे समय से चल रहे कश्मीर मुद्दे को सुलझाएगा और किसी तीसरे देश में इस मसले पर बात होगी.
पाकिस्तान द्वारा खाली करना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि इस क्षेत्र को पाकिस्तान द्वारा खाली करना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. विदेश मंत्रालय ने कहा, “मुख्य मुद्दा पाकिस्तान द्वारा PoK को खाली करना है.” यह बयान उन वैश्विक ताकतों के लिए भी करारा जवाब है जो भारत के संप्रभु मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हैं. भारत ने बार-बार दोहराया है कि PoK उसका अभिन्न हिस्सा है और इसका कोई भी अवैध कब्जा अस्वीकार्य है.
🚨"The outstanding matter is the VACATION of POK by Pakistan," says MEA.
— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) May 13, 2025
~ A sharp reminder to all Global Busybodies poking noses in sovereign matters.
Self-declared world powers better mind their own mess😹 pic.twitter.com/NnUXjOHKZt
वैश्विक शक्तियों को भारत की चेतावनी
विदेश मंत्रालय ने उन स्वघोषित विश्व शक्तियों को भी आड़े हाथों लिया जो बिना वजह भारत के आंतरिक मामलों में दखल देती हैं. मंत्रालय ने साफ कहा, “स्वघोषित विश्व शक्तियां अपनी समस्याओं पर ध्यान दें.” यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और संप्रभुता के प्रति उसकी अटल प्रतिबद्धता को दर्शाता है. PoK के मसले पर भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है, और यह बयान उस नीति को और मजबूती देता है.
क्षेत्रीय शांति के लिए जरूरी कदम
PoK में पाकिस्तान की मौजूदगी न केवल भारत की संप्रभुता के लिए चुनौती है, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह बयान क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर सहयोग की अपेक्षा भी जताई है.