Supreme Court Notice: अब देना होगा जवाब, OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा एक्शन; नोटिस जारी

Published on: 28 Apr 2025 | Author: Ritu Sharma
Supreme Court Digital Content Notice: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार, प्रमुख ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस एक जनहित याचिका (PIL) पर दिया गया है जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यौन रूप से स्पष्ट कंटेंट को बैन करने की मांग की गई थी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि याचिका ने एक 'गंभीर चिंता' उठाई है, लेकिन यह भी साफ किया कि यह मामला मुख्य रूप से कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है. बता दें कि सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा, ''जैसा कि स्थिति है, हम पर विधायिका और कार्यकारी शक्तियों में दखल देने का आरोप लगता है.''
किन-किन प्लेटफॉर्म्स को भेजा गया नोटिस?
बता दें कि कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, उल्लू, एएलटीटी, एक्स (पहले ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब समेत कई बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी किया है. सभी से इस याचिका पर जवाब मांगा गया है, जिसमें इन प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद अश्लील कंटेंट पर सख्त और तत्काल नियामक कार्रवाई की मांग की गई है.
सरकार का पक्ष और मौजूदा नियम
वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डिजिटल कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही कुछ नियम मौजूद हैं. उन्होंने अदालत को बताया कि 'आईटी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021' के तहत कुछ नियामक तंत्र पहले से लागू हैं.
याचिका में क्या मांग की गई है?
बताते चले कि यह याचिका पांच याचिकाकर्ताओं ने दायर की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पेश किया. इसमें ओटीटी और सोशल मीडिया कंटेंट पर कड़ी निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय कंटेंट कंट्रोल अथॉरिटी बनाने की मांग की गई है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए कोई निश्चित तारीख तय नहीं की है. हालांकि, यह स्पष्ट किया गया कि केंद्र सरकार का विस्तृत जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
क्यों बढ़ रही है चिंता?
बहरहाल, यह मामला भारत में तेजी से बढ़ते डिजिटल मनोरंजन और सोशल मीडिया सेक्टर में कंटेंट रेगुलेशन को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है. खासकर नाबालिगों द्वारा अनुचित सामग्री तक आसान पहुंच को देखते हुए इस पर तत्काल कदम उठाने की मांग हो रही है.