Dalai Lama successor: दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन? बौखलाए चीन ने रखी ये मांग तो भारत ने दिया करारा जवाब

Published on: 03 Jul 2025 | Author: Garima Singh
Dalai Lama successor: भारत ने गुरुवार को चीन की उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें बीजिंग ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी को अपनी मंजूरी के अधीन करने की बात कही थी. भारत सरकार ने साफ़ किया कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन करने का अधिकार केवल उन्हें ही है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, "दलाई लामा का पद न केवल तिब्बतियों के लिए, बल्कि विश्व भर में उनके अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है. उनके उत्तराधिकारी का निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार केवल दलाई लामा के पास है."
रिजिजू और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता लल्लन सिंह दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में भाग लेने के लिए धर्मशाला पहुंच रहे हैं. इस अवसर को रिजिजू ने पूरी तरह धार्मिक बताया. उन्होंने कहा, "यह एक शुद्ध धार्मिक आयोजन है, जिसमें भारत सरकार पूर्ण समर्थन दे रही है."
गादेन फोडरंग ट्रस्ट की भूमिका
दलाई लामा कार्यालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर पुनर्जन्म की प्रक्रिया को स्पष्ट किया. बयान में कहा गया, "भविष्य के दलाई लामा को मान्यता देने की प्रक्रिया 24 सितंबर 2011 के बयान में पूरी तरह निर्धारित है. यह जिम्मेदारी केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास होगी."
चीन का दावा और तिब्बती चिंताएं
चीन ने दावा किया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार को उसके कानूनों और धार्मिक परंपराओं के अनुसार बीजिंग की मंजूरी मिलनी चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "दलाई लामा के उत्तराधिकार को चीनी नियमों और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करना होगा." हालांकि, तिब्बती समुदाय को आशंका है कि चीन भविष्य में अपना दलाई लामा नियुक्त कर सकता है, जिससे तिब्बत पर उसका नियंत्रण और मजबूत हो सकता है.
तिब्बती संघर्ष और दलाई लामा की विरासत
1959 में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा भारत में निर्वासन में रह रहे हैं. बीजिंग उन्हें अलगाववादी मानता है, जबकि विश्व समुदाय उन्हें अहिंसा और तिब्बती संस्कृति के संरक्षण के प्रतीक के रूप में देखता है. 2011 में, दलाई लामा ने निर्वासित तिब्बती सरकार को राजनीतिक अधिकार सौंपे, लेकिन चेतावनी दी कि पुनर्जन्म प्रक्रिया का दुरुपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए हो सकता है.