Operation Sindoor Explainer: कैसे 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे सीक्रेट अभियानों को दिया जाता है अंजाम, प्लानिंग से लेकर टारगेट करने की क्या है ABCD?

Published on: 08 May 2025 | Author: Gyanendra Sharma
'ऑपरेशन सिन्दूर' के तहत, भारतीय सेना ने मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मरकज तैयबा, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के मरकज सुभान अल्लाह, सियालकोट में हिजबुल मुजाहिदीन के महमूना जोया फैसिलिटी और बरनाला में मरकज अहले हदीस में लश्कर के अड्डे और मुजफ्फराबाद के शावई नाला में उसके शिविर को निशाना बनाया.
भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार तड़के पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान में नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) आतंकवादी संगठन का गढ़ बहावलपुर भी शामिल है. इस ऑपरेशन को गुफ्त रखा गया. युद्ध के अनुभवी मेजर अमित बंसल ने टाइम्स नाउ से बात करते हुए कहा कि दुश्मन देश में गुप्त ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए बहुत ज़्यादा योजना बनाई जाती है.
गोला-बारूद और ऑपरेशन का समय
उन्होंने कहा कि इसमें लक्ष्य की पहचान, परिवहन के साधन और गोला-बारूद और ऑपरेशन का समय शामिल है. पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार सुबह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) आतंकी संगठन का गढ़ बहावलपुर भी शामिल है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इन ठिकानों को योजना के अनुसार नष्ट कर दिया गया.
युद्ध के अनुभवी मेजर (सेवानिवृत्त) अमित बंसल ने कहा, हमें गुप्त ऑपरेशन करने से पहले बहुत सारी योजना बनानी होती है. आपको सबसे पहले लक्ष्य की योजना बनानी होती है, आपको मुठभेड़ के तरीके की योजना बनानी होती है आप किस तरह के गोला-बारूद का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, किस तरह का प्लेटफॉर्म क्या यह विमान या मिसाइल होगा, या ड्रोन होगा, और मुठभेड़ का समय भी तय किया जाता है.
सैटेलाइट जैसी इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी
उन्होंने कहा, हमारे सुरक्षा बलों के पास पहले से ही लक्ष्यों की एक सूची थी. इन लक्ष्यों पर मानव खुफिया और सैटेलाइट जैसी इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी की मदद से निगरानी की जा रही थी. इनपुट के आधार पर गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा रहा था. साथ ही ड्रोन और मिसाइल जैसे प्लेटफॉर्म तैयार किए जा रहे थे. साथ ही हमारे सेंसर पाकिस्तानी सेना की हरकतों पर कड़ी नज़र रख रहे थे. उनके रडार, उनकी वायुसेना और सेना की हरकतों पर बारीकी से नज़र रखी जा रही थी.
मानव इंटेलिजेंस पर भरोसा
पहलगाम हमले के बाद जवाब देने में दो हफ्ते का समय लगा. इसपर उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के लिए दो सप्ताह का समय लगने को अन्यथा नहीं देखा जाना चाहिए. पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेने के लिए बालाकोट ऑपरेशन 12 दिनों के बाद किया गया था. मेजर (सेवानिवृत्त) अमित बंसल ने कहा कि पाकिस्तान में मौजूद मानव खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी ने अधिकारियों को ऑपरेशन के लिए अपने लक्ष्य की योजना बनाने में मदद की. उन्होंने कहा कि आप इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस को बेवकूफ़ बना सकते हैं, आप सेंसर को बेवकूफ़ बना सकते हैं, लेकिन मानव इंटेलिजेंस को नहीं.