India Pakistan Tension: कैसे बनाए जाते हैं युद्ध लड़ने वाले ड्रोन? यहां जानें A to Z जानकारी

Published on: 10 May 2025 | Author: Babli Rautela
India-Pakistan Update: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव में ड्रोन युद्ध ने नई जंग छेड़ दी है. 10 मई 2025 को पाकिस्तान ने भारत के 26 ठिकानों पर ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इन्हें नाकाम कर दिया. वहीं, भारत ने पाकिस्तानी एयरबेस को निशाना बनाया. इन युद्धक ड्रोनों का निर्माण एक जटिल और अत्याधुनिक प्रक्रिया है.
Unmanned Aerial Vehicles (UAV) या युद्धक ड्रोन निगरानी, हमले या खोज जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए बनाए जाते हैं. ड्रोन का साइज, वजन और रेंज उसके मिशन पर निर्भर करती है. इंजीनियर 3D मॉडलिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ड्रोन का डिजाइन तैयार करते हैं, जिसमें एयरोडायनामिक्स, हथियार क्षमता और उड़ान स्थिरता का परीक्षण होता है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि ड्रोन युद्ध के कठिन हालात में प्रभावी हो.
ड्रोन बनाने का प्रोटोटाइप निर्माण
ड्रोन के लिए कार्बन फाइबर, एल्यूमिनियम या कंपोजिट मैटेरियल जैसे हल्के और टिकाऊ पदार्थ चुने जाते हैं. हमलावर ड्रोन में लेजर-गाइडेड मिसाइल या बम माउंट जोड़े जाते हैं. प्रोटोटाइप में मोटर, प्रोपेलर, बैटरी और कंट्रोल सिस्टम के साथ सेंसर, GPS, और हाई-रेजोल्यूशन कैमरे लगाए जाते हैं. यह प्रोटोटाइप ड्रोन की कार्यक्षमता का आधार बनता है.
सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स
ड्रोन को हर मौसम और समय में कार्यक्षम बनाने के लिए थर्मल इमेजिंग, नाइट विजन, और AI-आधारित ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर का उपयोग होता है. सैटेलाइट और रेडियो कम्युनिकेशन लंबी दूरी से नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं. छोटे ड्रोन में लिथियम-आयन बैटरी और बड़े ड्रोन में जेट इंजन या टर्बोफैन लगाए जाते हैं, जो मिशन की जरूरतों पर निर्भर करता है.
प्रोटोटाइप की कठिन परिस्थितियों में टेस्टिंग होती है, जैसे तेज हवा, बारिश और उच्च तापमान. हमलावर ड्रोन की हथियार सटीकता और हैकिंग सुरक्षा की जांच की जाती है. सफल टेस्टिंग के बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होता है. प्रत्येक ड्रोन की गुणवत्ता कड़ाई से परखी जाती है ताकि युद्ध में कोई चूक न हो. अंत में, ड्रोन को सेना में तैनात किया जाता है.