पाकिस्तान भूखा मरेगा, पानी के लिए होगा हाहाकार, पड़ोसी देश को नहीं मिलेगी सिंधु नदी की एक भी बूंद, भारत ने बनाया धांसू प्लान

Published on: 25 Apr 2025 | Author: Mayank Tiwari
जम्मू कश्मीर के पहलगाम जिले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए गए घातक हमले के जवाब में भारत सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी देना बंद करने का फैसला किया है. सूत्रों के अनुसार, सिंधु बेसिन की नदियों पर बांधों की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि अधिक पानी का भंडारण किया जा सके.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को भारत ने इस फैसले को लागू करने की औपचारिक अधिसूचना जारी की और पाकिस्तान को इसकी जानकारी दी. इस अधिसूचना में कहा गया है कि सिंधु जल संधि को “स्थगित” रखा गया है, जिसके तहत संधि से जुड़े सभी दायित्व, जैसे सिंधु आयुक्तों की बैठकें, डेटा साझाकरण, और नए प्रोजेक्ट्स की अग्रिम सूचना, निलंबित हैं.
भारत का कड़ा रुख
संधि के निलंबन के साथ, भारत अब पाकिस्तान की मंजूरी या परामर्श के बिना नदी पर बांध बनाने के लिए स्वतंत्र है. भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा, “किसी संधि का सम्मान करने की बुनियादी जिम्मेदारी उसका आधार है. हालांकि, इसके बजाय हमने पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में निरंतर सीमा पार आतंकवाद देखा है, जो भारत के संधि अधिकारों को बाधित करता है.”
पाकिस्तान ने क्या दी प्रतिक्रिया!
पाकिस्तान ने गुरुवार को सिंधु जल संधि के निलंबन को खारिज करते हुए कहा कि संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोकने के किसी भी कदम को “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा. साल 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित इस संधि में पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रवि का आवंटन भारत को, और पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का आवंटन पाकिस्तान को किया गया था. औसतन 135 मिलियन एकड़ फीट पानी पाकिस्तान को आवंटित था, लेकिन संधि में एकतरफा निलंबन की कोई शर्त नहीं है.
भारत के एक्शन पर पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
विशेषज्ञों के अनुसार, सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालेगा, क्योंकि महत्वपूर्ण फसल मौसमों में पानी का प्रवाह और डेटा साझाकरण बाधित होगा. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अन्य दंडात्मक कदम भी उठाए, जिनमें पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, सैन्य अटैचियों का निष्कासन, अटारी और ओबरोई सीमा चौकियों का तत्काल बंद करना, और राजनयिक मिशनों का आकार कम करना शामिल है. हालांकि, संधि में एकतरफा निलंबन की अनुमति देने वाला कोई खंड शामिल नहीं है.