ईरान ने की भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश, पहलगाम हमले के बाद आक्रमण के मूड में है हिंदुस्तान

Published on: 25 Apr 2025 | Author: Mayank Tiwari
ईरान ने शुक्रवार (25 अप्रैल) को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की. वहीं, इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. इस बीच नई दिल्ली और इस्लामाबाद को तेहरान का "भाईचारे वाला पड़ोसी" बताते हुए, ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने कहा कि तेहरान चुनौतीपूर्ण समय के दौरान दोनों देशों के बीच अधिक समझ को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट की. जिसमें उन्होंने कहा,''भारत और पाकिस्तान ईरान के भाईचारे के पड़ोसी हैं, जो सदियों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों में निहित संबंधों का आनंद ले रहे हैं. अन्य पड़ोसियों की तरह, हम उन्हें अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं. तेहरान इस कठिन समय में अधिक समझ बनाने के लिए इस्लामाबाद और नई दिल्ली में अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करने के लिए तैयार है.
India and Pakistan are brotherly neighbors of Iran, enjoying relations rooted in centuries-old cultural and civilizational ties. Like other neighbors, we consider them our foremost priority.
Tehran stands ready to use its good offices in Islamabad and New Delhi to forge greater… pic.twitter.com/5XsZnEPg2D
— Seyed Abbas Araghchi (@araghchi) April 25, 2025
ईरानी विदेश मंत्री ने भारत- पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश की
इस दौरान ईरानी मंत्री ने मानवीय संबंधों पर जोर देते हुए फारसी कवि सादी की कविताएं भी शेयर कीं. उन्होंने कहा,''मानव प्राणी एक पूरे के सदस्य हैं, एक सार और आत्मा का निर्माण करते हैं यदि एक सदस्य को दर्द होता है तो अन्य सदस्य असहज रहेंगे".
तेहरान पहले भी भारत-पाक के बीच कर चुका है मध्यस्थता की पेशकश
ऐसा पहली बार नहीं है जब तेहरान ने संबंधों में मध्यस्थता की पेशकश की है. इससे पहले 2019 में, तत्कालीन ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने पुलवामा आतंकी हमले और उसके बाद बालाकोट में भारत के हवाई हमले के बाद नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनाव बढ़ने पर मध्यस्थता की पेशकश की थी. इससे पहले 2016 में ईरान के ज़रीफ़ ने प्रस्ताव दिया था कि यदि भारत और पाकिस्तान दोनों चाहें तो वे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर सकते हैं, क्योंकि तेहरान को उम्मीद थी कि दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध होंगे.
उन्होंने कहा, "हम इसे खो नहीं सकते. यह रिश्ता भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम दोनों देशों के लिए बेहतरी की उम्मीद करते हैं. अगर ईरान किसी भी तरह से मदद कर सकता है, तो हम तैयार हैं, हम स्वेच्छा से मदद नहीं कर रहे हैं, हम तैयार हैं.