China in Israel Iran War: इजराइल-ईरान जंग में चीन ने मारी एंट्री, गुपचुप तरीके से तेहरान में उतरा ड्रैगन का विमान

Published on: 17 Jun 2025 | Author: Garima Singh
China in Israel Iran War: इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. खबर है कि चीनी मालवाहक विमान कथित तौर पर रहस्यमय परिस्थितियों में ईरान में उतरे हैं, जबकि ईरान का हवाई क्षेत्र आधिकारिक तौर पर बंद है. इन विमानों ने ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश से पहले अपने ट्रांसपोंडर बंद कर दिए, जिससे वे रडार और वाणिज्यिक ट्रैकिंग सिस्टम से गायब हो गए.
सूत्रों के मुताबिक, ये विमान सैन्य आपूर्ति या प्रतिबंधित सामान ले जा रहे थे, जो इजराइल के साथ चल रहे गतिरोध में ईरान की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए हो सकते हैं. तेहरान में इन विमानों की अघोषित लैंडिंग और गोपनीयता ने चीन और ईरान के बीच उच्च-स्तरीय समन्वय की संभावना को जन्म दिया है. यह घटना इजराइल के हालिया ऑपरेशन 'राइजिंग लॉयन' की पृष्ठभूमि में हुई, जिसमें ईरानी सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इन हमलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "चीन ईरान पर इजरायल के हमलों पर बारीकी से नजर रख रहा है और इस ऑपरेशन के संभावित गंभीर परिणामों को लेकर बेहद चिंतित है.''
चीनी नागरिकों को निकासी की सलाह
बढ़ते तनाव के बीच, तेल अवीव में चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए तत्काल निकासी की सलाह जारी की है. दूतावास ने इजरायली हवाई क्षेत्र के बंद होने और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का हवाला देते हुए जॉर्डन के रास्ते भूमि मार्गों से प्रस्थान करने का आग्रह किया। दूतावास ने "नागरिक हताहतों में तेज वृद्धि" और "बिगड़ते सुरक्षा माहौल" की चेतावनी दी है.
ईरान का आक्रामक जवाब
ईरान ने इजराइल के हमलों का जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) से बाहर निकलने की धमकी दी है, जो वैश्विक परमाणु कूटनीति के लिए बड़ा झटका हो सकता है. एक ईरानी प्रवक्ता ने कहा, "तेहरान सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है", जो शासन की बढ़ती हताशा और आक्रामक रुख को दर्शाता है.
चीन-ईरान का गहराता रणनीतिक गठजोड़
यह घटना चीन और ईरान के बीच मजबूत रणनीतिक संबंधों को उजागर करती है. दोनों देशों ने 2021 में 25 साल का सहयोग समझौता किया था, जिसमें ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और सैन्य प्रौद्योगिकी शामिल हैं. चीन ईरान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और तेल खरीदार है, जो ईरान के 90% तेल निर्यात को संभालता है। इसके अलावा, चीन ईरान को मिसाइल घटक, ड्रोन तकनीक और तकनीकी सहायता प्रदान करता रहा है. ये अघोषित उड़ानें केवल सैन्य सहयोग का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि पश्चिमी दबाव के खिलाफ एक साझा रणनीति का प्रतीक हैं. रूस के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास भी इस गठजोड़ को और मजबूत करते हैं, जो एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर इशारा करता है.