Israel-Iran conflict: होर्मुज जलडमरूमध्य क्यों है इतना ख़ास? इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच अगर बंद हुआ तो भारत सहित दुनियाभर में क्या होगा असर?

Published on: 17 Jun 2025 | Author: Garima Singh
Israel Iran conflict: वैश्विक ऊर्जा बाजार की नजरें इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव पर टिकी हैं, क्योंकि पश्चिम एशिया तेल और गैस के वैश्विक प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत, जो दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस आयातक देशों में से एक है, इस क्षेत्र से अपनी ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा प्राप्त करता है. भारतीय रिफाइनर इस तनाव पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में किसी भी व्यवधान से तेल और गैस की कीमतों में उछाल आ सकता है, जिसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
होर्मुज जलडमरूमध्य, जो ईरान और ओमान के बीच स्थित है, वैश्विक तेल और गैस व्यापार का एक महत्वपूर्ण चोकपॉइंट है. अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) के मुताबिक, यह विश्व का सबसे महत्वपूर्ण तेल पारगमन मार्ग है, जहां से वैश्विक तरल पेट्रोलियम का लगभग पांचवां हिस्सा और लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) का बड़ा हिस्सा गुजरता है. भारत अपनी 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है, इस जलमार्ग के माध्यम से इराक, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से कच्चा तेल प्राप्त करता हैं. इसके अलावा, कतर से आयातित भारत का अधिकांश एलएनजी भी इसी मार्ग से आता है.
होर्मुज जलडमरूमध्य: वैश्विक ऊर्जा का महत्वपूर्ण चैनल
हाल के तनाव के बीच, कुछ शिपिंग कंपनियां होर्मुज जलडमरूमध्य से बचने के लिए वैकल्पिक मार्गों पर विचार कर रही हैं, जिससे परिवहन लागत बढ़ सकती है. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है, “होर्मुज जलडमरूमध्य का खुला और सुरक्षित रहना ऊर्जा आपूर्ति और कीमतों की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है.
तेल की कीमतों पर प्रभाव
इजरायल के ईरान पर हाल के हवाई हमलों और जवाबी कार्रवाइयों के बाद, बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 7% उछलकर 74 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गई. हालांकि, कुछ ऊर्जा बुनियादी ढांचे को नुकसान के बावजूद, हाल के दिनों में कीमतों में नरमी आई है, क्योंकि खबरें हैं कि ईरान अमेरिका के माध्यम से युद्धविराम के लिए दबाव बना रहा है. फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है, तो तेल की कीमतें 120 से 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. कमोडिटी मार्केट एनालिटिक्स फर्म केप्लर की मध्य पूर्व ऊर्जा विशेषज्ञ अमीना बकर ने कहा, “होर्मुज जलडमरूमध्य की नाकाबंदी बहुत असंभव है, लेकिन इसे जोखिम के रूप में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.''
भारत के लिए चुनौतियां
भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों पर निर्भर है, इस तनाव से प्रभावित हो सकता है. होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले टैंकरों के लिए बढ़ते बीमा और माल ढुलाई प्रीमियम से तेल की लागत बढ़ सकती है. यदि जलमार्ग बंद होता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा, जिससे व्यापार घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार, रुपये की विनिमय दर और मुद्रास्फीति प्रभावित होगी.
वैश्विक तेल आपूर्ति और ओपेक की भूमिका
एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के विश्लेषक रिचर्ड जोसविक ने कहा, “यदि ईरानी तेल निर्यात में व्यवधान होता है, तो चीनी रिफाइनर अन्य स्रोतों की तलाश करेंगे, जिससे वैश्विक तेल कीमतों में उछाल आएगा.” हालांकि, ओपेक के पास अतिरिक्त उत्पादन क्षमता है, लेकिन इसका उपयोग तभी प्रभावी होगा जब पश्चिम एशियाई तेल उत्पादक सुरक्षित रूप से निर्यात कर सकें और होर्मुज जलडमरूमध्य खुला रहे.