Iran Baloch Executions: ईरान की जेलों से उठी चीखें, 33 बलूचों को फांसी, 85 और की तैयारी; UN-Amnesty ने जताया गुस्सा

Published on: 03 May 2025 | Author: Ritu Sharma
Iran Baloch Executions: ईरान में बलूच अल्पसंख्यकों के खिलाफ सजा-ए-मौत की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, केवल अप्रैल महीने में ही ईरान ने 33 बलूच कैदियों को फांसी पर लटका दिया. आरोप है कि इनमें से अधिकतर मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और कैदियों को न तो न्याय का पूरा मौका मिला, न ही उनके परिवारों को समय पर सूचना दी गई.
जाहिदान जेल बनी मौत की गली
बता दें कि ईरान के बलूचिस्तान प्रांत की जाहिदान सेंट्रल जेल, जहां ज्यादातर फांसी की सजाएं दी जा रही हैं, मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों के लिए कुख्यात मानी जाती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के अंत तक यहां 85 और बलूच कैदियों को फांसी दी जा सकती है. इनमें कई पर राजनीतिक, वैचारिक, ड्रग्स से जुड़े और हत्या जैसे आरोप लगाए गए हैं.
राजनीतिक साजिश या न्याय का गला घोंटना?
वहीं बलूच एक्टिविस्ट्स का आरोप है कि ईरानी सरकार जानबूझकर बलूच समुदाय को निशाना बना रही है और उन पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर उन्हें खत्म किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में जिन 33 लोगों को फांसी दी गई, उनमें से 4 राजनीतिक मामलों से जुड़े थे, जबकि 24 पर ड्रग्स का आरोप था. यह प्रक्रिया न पारदर्शी थी, न ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप.
मानवाधिकार संगठन उठाने लगे आवाज
इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को भी चिंतित कर दिया है. उन्हें लगता है कि ईरान में बलूच समुदाय के खिलाफ इस तरह की कार्रवाइयां सुनियोजित हैं और यह एक तरह से नस्लीय भेदभाव का भी संकेत देती हैं. ईरान की कुल आबादी का महज 5% हिस्सा होने के बावजूद बलूचों की हिस्सेदारी फांसी की सजा में 10% से ज्यादा है.
हालांकि, इन घटनाओं के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है. उन पर आरोप है कि वह अपने शासन को मजबूत रखने के लिए अल्पसंख्यकों को कुचल रहे हैं. बलूचिस्तान, जो पाकिस्तान और ईरान दोनों में फैला है, दोनों देशों में दशकों से दमन और विरोध की आग में जल रहा है.