1954 से शुरू हुई रविवार प्रार्थना की परंपरा, पोप फ्रांसिस से लियो XIV तक; जानिए कैसे बदला एंजेलस का अंदाज लेकिन ना टूटी परंपरा

Published on: 11 May 2025 | Author: Anvi Shukla
Pope Leo XIV Sunday Blessing: नए पोप लियो XIV पहली बार इस परंपरा का निर्वहन करेंगे, जब वह पोप चुने जाने के तीन दिन बाद सेंट पेत्रुस स्क्वायर की ओर खुलने वाली बालकनी से लोगों को संबोधित करेंगे.
1954 में पोप पायस XII ने इस प्रार्थना की सार्वजनिक परंपरा की शुरुआत की थी. उस वर्ष को उन्होंने माता मरियम को समर्पित विशेष वर्ष घोषित किया था. शुरुआत उन्होंने वेटिकन के बाहरी समर रेसिडेंस, कास्टेल गैंडोल्फो से की. बाद में वे वेटिकन के 16वीं सदी के एपोस्टोलिक पैलेस की खिड़की से प्रार्थना करने लगे. पोप फ्रांसिस ने परंपरा तोड़ी कि वे पोपल अपार्टमेंट में न रहकर गेस्ट हाउस में रहने लगे, लेकिन उन्होंने एंजेलस प्रार्थना की परंपरा को बनाए रखा.
क्या है एंजेलस प्रार्थना?
'एंजेलस' का मतलब होता है 'दूत'. यह प्रार्थना उस क्षण को स्मरण करती है जब देवदूत गेब्रियल ने मरियम को यीशु के जन्म का संदेश दिया था. इस प्रार्थना की शुरुआत होती है – 'प्रभु का दूत मरियम के पास आया, और लोग उत्तर देते हैं – 'और वह पवित्र आत्मा से गर्भवती हुई. इसके बाद 'हे मेरी' (Hail Mary) और अन्य प्रार्थनाएं पढ़ी जाती हैं.
क्यों है यह क्षण इतना विशेष?
यह जनसाधारण को पोप के दर्शन का दुर्लभ अवसर देता है. संत जॉन पॉल द्वितीय (1978–2005) के समय से, इसमें सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर छोटे संदेश भी जोड़े जाते हैं. जब पोप अस्वस्थ होते हैं और प्रार्थना नहीं कर पाते, तो वह वैश्विक खबर बन जाती है, जैसा कि हाल में पोप फ्रांसिस के अस्पताल में भर्ती होने पर हुआ था.
कुछ यादगार क्षण
- संत जॉन पॉल द्वितीय ने अपनी मृत्यु से तीन हफ्ते पहले आखिरी बार एंजेलस खिड़की से दिया था, बिना बोले, सिर्फ जैतून की शाखा से आशीर्वाद दिया था.
- पोप बेनेडिक्ट XVI ने 2013 में अपने इस्तीफे से पहले अंतिम एंजेलस दिया और विश्वासियों को भरोसा दिलाया कि वे चर्च नहीं, केवल सार्वजनिक सेवा छोड़ रहे हैं.
- पोप फ्रांसिस ने अपने पहले एंजेलस में 'दया' को अपना प्रमुख संदेश बनाया. उन्होंने कहा – 'थोड़ी सी दया इस दुनिया को कम ठंडी और अधिक न्यायपूर्ण बना देती है.'