'डेड इकोनॉमी' कहने वाले ट्रंप की कंपनी भारत में कर रही अरबों का व्यापार, 15,000 करोड़ की डील में शामिल

Published on: 06 Aug 2025 | Author: Reepu Kumari
डोनाल्ड ट्रंप अक्सर भारत की अर्थव्यवस्था को 'डेड इकोनॉमी' कहकर आलोचना करते हैं और चीन-रूस से व्यापार के चलते भारत की नीतियों पर उंगली उठाते हैं. लेकिन यही ट्रंप और उनका परिवार भारत से लगातार करोड़ों की कमाई कर रहा है वो भी रियल एस्टेट सेक्टर के जरिए.
ट्रंप की फैमिली कंपनी के बारे में तो आप जानते ही होंगे जिसका नाम है The Trump Organization. रिपोर्टे्स की मानें तो भारत के बड़े-बड़े बिल्डर्स के साथ मिलकर लग्जरी प्रॉपर्टी डेवेलपमेंट में ये बहुत ज्यादा एक्टिव है. देशभर में इनके प्रोजेक्ट्स अभी चल रहे हैं.
इन शहरों में चल रहे प्रोजेक्ट्स
उन शहरों में मुंबई, पुणे, गुरुग्राम, हैदराबाद जैसे शहरों के नाम शामिल हैं. अब तक सैकड़ों करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है. भारत अब अमेरिका के बाहर ट्रंप ऑर्गनाइज़ेशन का सबसे बड़ा रियल एस्टेट बाजार बन गया है.
भारत में ट्रंप का बढ़ता दखल
2012 से भारत में कदम रखने वाली The Trump Organization ने अब तक पुणे, मुंबई, कोलकाता और गुरुग्राम समेत सात शहरों में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं. अकेले 2024 में कंपनी को भारत से करीब 12 मिलियन डॉलर की कमाई हुई, जिसमें से सबसे बड़ा हिस्सा रिलायंस 4IR रियल्टी से डेवलपमेंट फीस के रूप में मिला.
कहां-कहां हैं प्रोजेक्ट्स?
ट्रंप की कंपनी फिलहाल 11 मिलियन स्क्वायर फुट एरिया में निर्माण कार्य कर रही है. इनमें पुणे, गुरुग्राम, हैदराबाद, नोएडा और मुंबई जैसे शहर शामिल हैं. Tribeca Developers भारत में ट्रंप की ऑफिशियल पार्टनर कंपनी है. उनकी ओर से दावा है कि इन प्रोजेक्ट्स की कुल वैल्यू 15,000 करोड़ रुपये भी होने की संभावना है.
न खुद निवेश, सिर्फ ब्रांड बेचते हैं ट्रंप
यहां गौर करने वाली बात ये हैं कि ट्रंप की कंपनी खुद किसी प्रोजेक्ट में पैसा इंवेस्ट नहीं करती है. वो सिर्फ अपना नाम देती है. इसके बदले में वो 3-5% का हिस्सा या फिर लाइसेंस फीस लेते हैं. ट्रंप ब्रांड जुड़ने के कारण इन प्रॉपर्टीज की कीमतें भी काफी ऊंची रहती हैं.
कौन हैं पार्टनर?
इन प्रोजेक्ट्स में रिलायंस, लोढ़ा ग्रुप, एम3एम, पंचशील, यूनिमार्क और RDB ग्रुप जैसी बड़ी भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं. 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने मैनेजमेंट से हटकर अपनी हिस्सेदारी ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दी थी, लेकिन अब भी वे कंपनी के चेयरमैन हैं.