Geeta Phogat Birthday: कॉमनवेल्थ से लेकर ओलंपिक तक! गीता फोगाट के जन्मदिन पर जानें उनकी कुछ ऐतिहासिक उपलब्धियां
Published on: 15 Dec 2025 | Author: Praveen Kumar Mishra
नई दिल्ली: आज 15 दिसंबर को भारतीय कुश्ती की मशहूर खिलाड़ी गीता फोगाट का जन्मदिन है. गीता ने महिलाओं के लिए कुश्ती में नए द्वार खोले हैं और कई लड़कियों को इस खेल की ओर प्रेरित किया है.
हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मी गीता की कहानी मेहनत, संघर्ष और सफलता की मिसाल है. उनके जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनकी कुछ बड़ी उपलब्धियों के बारे में.
शुरुआती जीवन और परिवार की प्रेरणा
गीता फोगाट का जन्म 15 दिसंबर 1988 को हरियाणा के बालाली गांव में हुआ था. उस समय ग्रामीण इलाकों में कुश्ती को सिर्फ लड़कों का खेल माना जाता था. लेकिन उनके पिता महावीर सिंह फोगाट, जो खुद एक पूर्व पहलवान थे ने फैसला किया कि उनकी बेटियां भी कुश्ती सीखेंगी.
यह फैसला आसान नहीं था क्योंकि समाज में लड़कियों के लिए ऐसे खेल को अपनाना मुश्किल था. गीता की बहनें बबीता, रितु और संगीता भी कुश्ती में आगे आईं. उनकी चचेरी बहन विनेश फोगाट भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं. फोगाट परिवार की यह कुश्ती परंपरा गीता के लिए बड़ी प्रेरणा बनी और बचपन से ही उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग शुरू कर दी.
कॉमनवेल्थ गेम्स में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक
गीता की कुश्ती की दुनिया में असली चमक 2009 में दिखी, जब उन्होंने कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. लेकिन सबसे बड़ी सफलता 2010 में दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में आई.
यहां 55 किलो वर्ग में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली बेनस्टेड को हराकर स्वर्ण पदक जीता.यह भारत की महिला कुश्ती में पहला कॉमनवेल्थ गोल्ड था. इस जीत ने पूरे देश में हलचल मचा दी और महिलाओं के लिए कुश्ती को नई लोकप्रियता दी. कई लड़कियां इस जीत से प्रेरित होकर अखाड़े में उतरीं.
ओलंपिक तक का सफर
2012 में गीता ने एक और इतिहास रचा. वे लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं. हालांकि ओलंपिक में वे पदक नहीं जीत पाईं लेकिन यह क्वालीफिकेशन अपने आप में बड़ा मील का पत्थर था. इ
ससे भारतीय महिला कुश्ती को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली.इससे पहले उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते और 2012 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भी कांस्य हासिल किया. 2015 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक उनकी निरंतर मेहनत का सबूत था.
व्यक्तिगत जीवन और प्रेरणा का स्रोत
गीता ने 2016 में साथी पहलवान पवन कुमार से शादी की और उनके एक बेटा है. उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म 'दंगल' ने उनकी कहानी को दुनिया भर में पहुंचाया. इस फिल्म में आमिर खान ने उनके पिता की भूमिका निभाई थी.
फिल्म ने महिला कुश्ती की चुनौतियों को दिखाया और गीता को लाखों लोगों की प्रेरणा बना दिया.आज गीता युवा लड़कियों को ट्रेनिंग देती हैं और खेल को बढ़ावा देती हैं.