'कॉलेज सिर्फ डिग्री के लिए नहीं, बल्कि...', दिल्ली के शिक्षा मंत्री का छात्रों को संदेश

Published on: 03 Aug 2025 | Author: Kuldeep Sharma
ARSD कॉलेज, जहां आशीष सूद ने 1980 के दशक में कॉमर्स की पढ़ाई की थी, वहां लौटकर उन्हें गहराई से अपने Alma mater से जुड़ाव महसूस हुआ. उन्होंने 66वें फाउंडेशन डे के अवसर पर छात्रों से पूछा कि क्या वो सिर्फ ग्रेड्स हासिल करने आए हैं या समाज व देश की सेवा की जिम्मेदारी भी समझते हैं.
सूद ने कॉलेज को सिर्फ एक डिग्री देने वाली संस्था मानने की आदत को बदलने की बात कही. उनका कहना था, "कॉलेज के तीन साल दुनिया की सबसे अधिक स्वतंत्रता वाले होते हैं, लेकिन इसके बाद ज़िम्मेदारियाँ आपकी राह का हिस्सा बन जाएँगी." उन्होंने छात्रों से पूछा कि वे अपने कॉलेज, समाज और देश के लिए कैसे योगदान देंगे यह सोच अब ज़रूरी है.
शिक्षा में नयी सोच
शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति 2020 को 'पीढ़ियों को बदलने वाली नीति' बताया. उन्होंने कहा कि छात्रों को केवल विषय का ज्ञान देने से काम नहीं चलेगा, उन्हें समस्या सुलझाने वाले, विचारक और संवाद कौशल वाले बनने की आवश्यकता है. इस नीति से छात्रों को विषयों का मिश्रण चुनने की आज़ादी, क्रेडिट ट्रांसफर, इंटर्नशिप और पढ़ाई में लचीलापन मिलेगा. उन्होंने स्पष्ट किया “इससे हम सिर्फ टेस्टर नहीं, बल्कि सोचने वाले व्यक्ति तैयार कर सकते हैं.”
नीति की जमीन पर तैयारी
दिल्ली सरकार NEP को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रयासरत है. इसमें स्कूल स्तर पर कौशल प्रयोगशालाएं, इंटर्नशिप को क्रेडिट सिस्टम से जोड़ना और मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार शामिल हैं. पोस्ट‑पैंडेमिक दौर में छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों को देखते हुए इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है.
संस्थानिक मूल्य और भविष्य की दिशा
संदर्भ में आशीष सूद ने संस्थान के नाम ‘सनातन धर्म’ की व्याख्या की यह सिर्फ एक धार्मिक शब्द नहीं, बल्कि स्थायी सत्य और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है. उनका कहना था कि जब समाज में कुछ लोग सनातन मूल्य खत्म करने की बात करते हैं, तो हमारी जिम्मेदारी होती है उन्हें आगे बढ़ाना. यह संदेश खास तौर पर छात्रों को भावनात्मक रूप से शिक्षित करने वाला था.
साथ ही Education minister ने कॉलेज के पूर्व और वर्तमान शिक्षकों को भी श्रेय दिया 1959 से कॉलेज ने हजारों जीवनों को आकार दिया है. इसके साथ ही उन्होंने चाणक्य का कथन कोट करते हुए कहा- शिक्षक कभी सामान्य नहीं होता, उसके हाथ में विनाश और विकास दोनों होते हैं. 'यदि नई शिक्षा नीति को सही तरीके से लागू किया गया तो दिल्ली के विद्यार्थी सिर्फ परीक्षा पास नहीं करेंगे बल्कि भविष्य को आकार देंगे.'