'100 दिनों के अंदर होगा तीसरा विश्व युद्ध, भारत-पाकिस्तान समेत होंगे 4 बड़े युद्ध!' नए नास्त्रेदमस' की विनाशकारी खौफनाक भविष्यवाणी

Published on: 06 May 2025 | Author: Princy Sharma
Craig Hamilton-Parker Prediction: दुनिया अगले 100 दिनों में एक भयानक मोड़ ले सकती है. ऐसा दावा किया है मशहूर भविष्यवक्ता क्रेग हैमिल्टन-पार्कर ने, जिन्हें 'नए नास्त्रेदमस' (New Nostradamus) के नाम से जाना जाता है. उनके अनुसार, चार अलग-अलग इलाकों में तनाव किसी भी वक्त युद्ध का रूप ले सकता है और ये घटनाएं सीधे तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा सकती हैं.
सबसे पहला खतरा पूर्वी एशिया से आ रहा है. क्रेग हैमिल्टन-पार्कर ने कहा कि चीन जल्द ही ताइवान पर हमला कर सकता है. उनका मानना है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस हमले के जवाब में ताइवान की मदद करेंगे, लेकिन इसकी कीमत बहुत बड़ी होगी. उन्होंने कहा, 'मैं देख रहा हूं कि चीन ताइवान पर कदम बढ़ाएगा और ट्रंप उसकी रक्षा करेंगे लेकिन यह भारी नुकसान के साथ आएगा.'
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच तनाव
इसके बाद उन्होंने दक्षिण एशिया की ओर इशारा किया. उन्होंने भविष्यवाणी की कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच तनाव और बढ़ेगा. अप्रैल में कश्मीर में एक टूरिस्ट बस पर हुए आतंकी हमले के बाद तनाव पहले ही बढ़ चुका है. पार्कर ने कहा कि भारत नेपाल में सेना भेज सकता है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन और ज्यादा बिगड़ सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रंप इस मौके का फायदा उठाकर भारत के साथ सैन्य और आर्थिक रिश्ते मजबूत करेंगे और भारत को रूस से दूर कर देंगे.
यूक्रेन और रूस
फिर पूर्वी यूरोप की ओर रुख करते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि यूक्रेन और रूस के बीच भी स्थिति बिगड़ सकती है. उनका दावा है कि ट्रंप रूस के साथ एक समझौता कर सकते हैं जिसमें यूक्रेन को क्रीमिया छोड़ना पड़ेगा, इससे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की नाराज हो सकते हैं और अगस्त में यूक्रेन में एक नई हिंसक लहर देखने को मिल सकती है.
ग्लोबल पीस समिट
पार्कर के अनुसार, अमेरिका और इजरायल के बीच एक डील हो सकती है जिससे गाजा को इजरायल में शामिल किया जाएगा. यह कदम अरब देशों को भड़का सकता है और पूरे क्षेत्र में हिंसा की चिंगारी भड़क सकती है. सबसे डरावनी बात यह है कि जून में होने वाला 'ग्लोबल पीस समिट' भी विफल हो जाएगा. पार्कर का कहना है कि इस सम्मेलन से शांति की कोई उम्मीद नहीं बंधेगी, बल्कि यह और ज्यादा विवादों का कारण बनेगा.