'बिना सबूत आरोप लगाना बना आपका चलन', सुप्रीम कोर्ट ने ED को किस मामले में लताड़ा?

Published on: 06 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस प्रवृत्ति पर चिंता जताई, जिसमें एजेंसी मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में बिना सबूतों के आरोपियों पर इल्ज़ाम लगाती है. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि कई मामलों में ईडी के दावों को ठोस सबूतों से जोड़ने में कमी देखी गई है. कोर्ट ने टिप्पणी की, "हमने ईडी द्वारा दायर अनगिनत मामलों में यही देखा है. यह एक पैटर्न है, बिना किसी संदर्भ के केवल आरोप लगाए जाते हैं." इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने जवाब दिया कि वह सबूत पेश करेंगे ताकि "कोर्ट की यह धारणा दूर हो" कि ईडी बिना आवश्यक सबूतों के मामले दर्ज करती है.
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई. ईडी ने दावा किया कि सिंह 40 करोड़ रुपये की अपराध आय से जुड़े हैं, लेकिन कोर्ट एजेंसी के तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ. एएसजी राजू ने कहा कि अरविंद सिंह बहु-करोड़ शराब घोटाले में शामिल थे और उन्होंने अनुराग ट्रेडर्स नामक कंपनी के माध्यम से खाली शराब की बोतलें खरीदीं. राजू ने दावा किया कि सिंह ने राज्य में समानांतर शराब कारोबार चलाकर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगे ठोस सबूत
पीठ ने राजू से सिंह को कंपनी और 40 करोड़ रुपये की अपराध आय से जोड़ने वाले सबूत पेश करने को कहा. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि सिंह न तो कंपनी के प्रबंध निदेशक थे, न ही निदेशक, और न ही उनका कोई आधिकारिक पद था. राजू ने तर्क दिया कि सिंह अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी के मामलों का प्रबंधन कर रहे थे.। जब पीठ असंतुष्ट दिखी, तो राजू ने ऑनलाइन बहस के बाद कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और प्रासंगिक दस्तावेज़ पेश करने के लिए समय मांगा.
जमानत की मांग
अरविंद सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल पहले ही 10 महीने जेल में बिता चुके हैं और निकट भविष्य में मुकदमे की शुरुआत होने की संभावना नहीं है, क्योंकि जांच अभी भी जारी है. उन्होंने बताया कि मामले में 21 आरोपी हैं, 25,000 पेज के दस्तावेज़ दाखिल किए गए हैं और 150 से अधिक गवाहों का जिक्र है. हालांकि, राजू ने कहा कि जमानत के लिए दस्तावेज़ों की मात्रा का आधार नहीं लिया जा सकता और सिंह की भूमिका की जांच पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने ये भी साफ किया कि जमानत के लिए एक साल की हिरासत का कोई मानक नहीं है.
ईडी को राजू की सलाह
हाल ही में ईडी के स्थापना दिवस पर बोलते हुए राजू ने एजेंसी को सलाह दी थी कि जल्दबाजी में गिरफ्तारी से बचें. उन्होंने कहा, "गिरफ्तारी से पहले सबूत इकट्ठा करें और सुनिश्चित करें कि आरोपी को केवल मूल अपराध के बजाय अपराध आय से जोड़ा जाए." उन्होंने सुझाव दिया कि जांच के शुरुआती चरण में गिरफ्तारी से कानूनी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो सकतीं और आरोपी को कोर्ट से राहत मिल सकती है.