'लोकतंत्र के तीनों स्तंभ बराबर': महाराष्ट्र में प्रोटोकॉल में हुई चूक पर CJI ने जताई नाराजगी

Published on: 18 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने रविवार को महाराष्ट्र के अपने पहले दौरे के दौरान वरिष्ठ राज्य अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई. 14 मई को 51वें CJI के रूप में शपथ लेने के बाद गवई मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में शामिल हुए. उन्होंने कहा, "अगर राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी या मुंबई पुलिस आयुक्त नहीं आना चाहते, जब CJI, जो महाराष्ट्र से हैं, पहली बार आए हैं, तो उन्हें सोचना चाहिए कि यह सही है या नहीं."
न्यायपालिका के प्रति सम्मान का सवाल
CJI ने जोर देकर कहा कि यह अन्य संस्थानों द्वारा न्यायपालिका के प्रति सम्मान का सवाल है. "जब किसी संस्थान का प्रमुख पहली बार राज्य में आता है, खासकर जब वह उसी राज्य से हो, तो उनके साथ किया गया व्यवहार सही था या नहीं, यह उन्हें खुद सोचना चाहिए," उन्होंने कहा. गवई ने स्पष्ट किया कि वह प्रोटोकॉल के पालन पर जोर नहीं दे रहे, लेकिन जनता को इसकी जानकारी होनी चाहिए.
हल्के-फुल्के अंदाज में चेतावनी
गवई ने हल्के अंदाज में कहा, "अगर मेरी जगह कोई और होता, तो अनुच्छेद 142 के प्रावधानों पर विचार किया जाता." भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को "पूर्ण न्याय" के लिए कोई भी आदेश पारित करने की शक्ति देता है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका, और न ही संसद सर्वोच्च है, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है. उन्होंने कहा, "न्यायपालिका, कार्यपालिका और संसद में से कोई भी सर्वोच्च नहीं है, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है, और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना होगा."
संविधान के स्तंभों की समानता
CJI ने कहा कि देश की मूल संरचना मजबूत है और संविधान के तीनों स्तंभ बराबर हैं. उन्होंने जोर दिया, "संविधान के सभी अंगों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए." इस आयोजन में जस्टिस गवई के 50 उल्लेखनीय फैसलों को संकलित करने वाली एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया.