INSV Koundinya 2025: भारतीय नौसेना की शान बढ़ाएगा 'INSV कौंडिन्य', 5वीं शताब्दी की इस तकनीक से है निर्मित, जानें और क्या खासियत?

Published on: 22 May 2025 | Author: Garima Singh
INSV Koundinya 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनावों के बीच, भारतीय नौसेना ने अपनी सामरिक शक्ति को और मजबूत करते हुए एक अनूठे जहाज, 'INSV कौंडिन्य' को अपने बेड़े में शामिल किया है.
यह ऐतिहासिक कदम बुधवार को कर्नाटक के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कारवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित एक भव्य समारोह में उठाया गया. इस समारोह में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ 'INSV कौंडिन्य' को भारतीय नौसेना का हिस्सा बनाया गया, जो भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं का प्रतीक है.
INSV कौंडिन्य: भारत की समुद्री विरासत का उत्सव
'INSV कौंडिन्य' का डिज़ाइन और निर्माण भारत की प्राचीन जहाज निर्माण कला को श्रद्धांजलि देता है. नौसेना के अधिकारियों के मुताबिक, यह जहाज पांचवीं शताब्दी के जहाजों की तर्ज पर बनाया गया है और इसका नाम प्रख्यात भारतीय नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है. कौंडिन्य ने हिंद महासागर को पार कर दक्षिण पूर्व एशिया तक की यात्रा की थी, जिसने प्राचीन भारत के समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को विश्व पटल पर स्थापित किया था.
नौसेना के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, “आज कारवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित एक औपचारिक समारोह में भारतीय नौसेना ने औपचारिक रूप से बने जहाज को इंडियन नवल सेलिंग वेसल (INSV) कौंडिन्य नाम दिया। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.' यह जहाज न केवल नौसेना की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को भी जीवंत करता है.
जहाज का डिज़ाइन: प्राचीन भारत का गौरव
INSV कौंडिन्य का डिज़ाइन भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाता है. जहाज पर गंधभेरुंड और सूर्य की आकृतियां उकेरी गई हैं, जो प्राचीन भारतीय कला और प्रतीकों का प्रतीक है. इसके डेक पर हड़प्पा शैली का प्रतीकात्मक पत्थर भी स्थापित किया गया है, जो भारत की प्राचीन सभ्यता की समुद्री उपलब्धियों को रेखांकित करता है. यह जहाज न केवल एक नौसैनिक संपत्ति है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का चलता-फिरता संग्रहालय भी है।
भावी योजनाएं: ट्रांस-ओशनिक यात्रा
भारतीय नौसेना के अनुसार, INSV कौंडिन्य कारवार नौसैनिक अड्डे पर तैनात रहेगा. यह जहाज इस साल के अंत में एक महत्वाकांक्षी ट्रांस-ओशनिक यात्रा पर निकलेगा, जो प्राचीन व्यापार मार्गों को पुनर्जनन देगा. यह यात्रा गुजरात से ओमान तक होगी, जो भारत के ऐतिहासिक व्यापारिक संबंधों को फिर से जीवंत करने का प्रयास है. प्रवक्ता ने बताया, “जहाज पर गंधभेरुंड और सूर्य की आकृतियां बनी हैं। वहीं डेक पर प्रतीकात्मक हड़प्पा शैली का पत्थर भी बना है। हर प्राचीन भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को दर्शाता है.”
भारत की समुद्री शक्ति का नया अध्याय
INSV कौंडिन्य का शामिल होना भारतीय नौसेना की सामरिक और सांस्कृतिक ताकत का प्रतीक है. यह जहाज न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि प्राचीन भारत की समुद्री विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास भी है. इस जहाज के माध्यम से भारतीय नौसेना ने न केवल अपनी तकनीकी प्रगति को रेखांकित किया है, बल्कि विश्व को यह भी दिखाया है कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर आज भी उतनी ही जीवंत और प्रासंगिक है.