Pahalgam Attack Avenged: पाकिस्तान में कैसे हुई एयरस्ट्राइक, आतंकी शिविरों को कैसे चुना गया?

Published on: 07 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई की तड़के, 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों पर अत्यंत सटीक सैन्य हमले किए. भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से सुबह 1:05 से 1:30 बजे के बीच यह कार्रवाई की. निशाने पर आए ठिकानों में मुजफ्फराबाद के सवाई नाला कैंप, सैयदना बिलाल कैंप, गुलपुर कैंप, अब्बास कैंप, बरनाला कैंप, सर्जाल कैंप, मेहमूना जोया कैंप, बहावलपुर के मरकज तैबा और मरकज सुब्हान शामिल थे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार (7 मई) को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा निशाना बनाए गए नौ आतंकी शिविरों में मुजफ्फराबाद का सवाई नाला कैंप और सैयदना बेलाल कैंप, गुलपुर कैंप, अब्बास कैंप, बरनाला कैंप, सरजाल कैंप, महमूना जोया कैंप, बहावलपुर में मरकज तैयबा और मरकज सुभान शामिल हैं.
ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत क्यों पड़ी?
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी और दर्जनों अन्य घायल हो गए थे. सरकार ने इस हमले को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया था और इस ऑपरेशन को सीमापार आतंकवाद के प्रति एक सुनियोजित प्रतिक्रिया बताया था, जिसने दशकों से भारत को परेशान किया हुआ है.
ऑपरेशन सिंदूर क्यों महत्वपूर्ण है?
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के स्पष्ट उद्देश्य से शुरू किया गया था, महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान द्वारा अपने भूभाग और पाक अधिकृत कश्मीर में व्यवस्थित रूप से निर्मित, परिष्कृत आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सीधा प्रहार है. इस नेटवर्क में भर्ती एवं प्रशिक्षण केंद्र, हथियार प्रशिक्षण सुविधाएं, लांच पैड और परिचालन अड्डे शामिल हैं, जिनका उपयोग आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कराने के लिए किया जाता है.
भारतीय सेना के अनुसार, यह पारिस्थितिकी तंत्र न केवल आतंकवाद को बनाए रखता है बल्कि नई भर्तियों, रणनीतियों और लक्ष्यों के साथ लगातार विकसित होता रहता है. यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि इन लक्ष्यों में कुछ प्रमुख आतंकी शिविर शामिल हैं, जिनमें लश्कर और जैश के प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं, जहां पुलवामा और 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया था. पहलगाम, सोनमर्ग और गुलमर्ग में हाल ही में हुए हमलों के बाद इस बुनियादी ढांचे को नष्ट करने की आवश्यकता और भी अधिक बढ़ गई है, क्योंकि इन सभी हमलों के तार पाकिस्तान और पीओके के अंदर स्थित शिविरों से जुड़े थे.
टारगेट शिविरों का चयन कैसे और क्यों किया गया?
रक्षा अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान टारगेटों का चयन विश्वसनीय, बहु-स्रोत खुफिया जानकारी के आधार पर किया गया था. इन शिविरों की पहचान न केवल उनके रणनीतिक महत्व के लिए की गई थी, बल्कि भारत के खिलाफ पिछले और योजनाबद्ध आतंकवादी अभियानों में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए भी की गई थी. हर टारगेट शिविर विशिष्ट हमलों से जुड़ा था या लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों के कैडरों को प्रशिक्षण देने के लिए जाना जाता था.
भारतीय हमले में कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ
इस बीच, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के सफल समापन के लिए अपने सशस्त्र बलों की सराहना की और कहा कि उसके सैन्य हमलों के दौरान किसी भी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा और टारगेट केवल आतंकवादी शिविर थे.