Pahalgam Terror Attack: गड्ढे में छिपकर बचाई 35-40 लोगों की जान, इस ऑफिसर ने जीता सबका दिल

Published on: 28 Apr 2025 | Author: Ritu Sharma
Pahalgam Terror Attack: कर्नाटक के सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रसन्न कुमार भट अपने परिवार के साथ पहलगाम की बैसरन घाटी में थे, जब आतंकवादियों ने हमला कर 26 लोगों की हत्या कर दी. यह भट और उनके परिवार के लिए किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं था कि उनकी जान बच गई और उन्होंने अपने सेना अधिकारी भाई की त्वरित सोच के चलते 35-40 अन्य लोगों की जान भी बचाई.
पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला
बता दें कि प्रसन्न कुमार भट ने अपनी कहानी एक्स (Twitter) पर साझा की और बताया कि कैसे यह हमलावर उन सबको चौंकाने के बाद सीधे गोलियां चलाने लगे. भट अपनी पत्नी, भाई और भाभी के साथ दोपहर करीब 12:30 बजे पहलगाम पहुंचे थे. उन्होंने अपनी यात्रा को स्थगित किया था और बैसरन घाटी की सुंदरता का आनंद ले रहे थे. भट कहते हैं, ''हमें उस एक निर्णय के परिणामों के बारे में बहुत कम जानकारी थी.''

आतंकवादियों की गोलियां और त्वरित प्रतिक्रिया
वहीं चाय और कावा का आनंद लेने के बाद, जब वे टहलने के लिए निकले, तभी गोलियों की आवाज से सब कुछ बदल गया. भट ने बताया, ''शुरुआत में लगा कि बच्चे पिकनिक मना रहे हैं, जबकि वयस्क इस भयावहता को समझने में कनफ्लिक्ट कर रहे थे.'' जैसे ही गोलियों की तड़तड़ाहट बढ़ी, उन्होंने और उनके परिवार ने 400 मीटर दूर स्थित मोबाइल शौचालय के पीछे शरण ली.
सेना अधिकारी भाई की त्वरित सोच
साथ ही उनके भाई, जो एक वरिष्ठ सेना अधिकारी हैं, वो तुरंत समझ लिया कि यह एक आतंकवादी हमला है. उन्होंने अपनी तुरंत अपने दिमाग से 35-40 पर्यटकों को मौत के रास्ते से बचाया. भट ने बताया, ''उन्होंने हमें विपरीत दिशा में भेज दिया और बाड़ के नीचे से होते हुए एक पानी की धारा तक पहुंचने का रास्ता दिखाया.'' घटना के समय मदद पहुंचने में लगभग 40 मिनट का समय लगा और हेलीकॉप्टर की आवाज से उन्हें राहत मिली. भट ने कहा, ''हमने खून से लथपथ लोगों को देखा और हमले की भयावहता को महसूस किया.''
'एक दुखद घटना थी'
बहरहाल, भट अब अपने परिवार के साथ मैसूर लौट आए हैं, लेकिन आतंकवादियों की गोलियों की आवाजें उन्हें बार-बार परेशान करती हैं. भट ने कहा, ''वो डरावनी आवाजें आज भी हमारे कानों में गूंजती हैं और इसने हमारे शरीर पर स्थायी निशान छोड़े हैं.''