भारत की बमबारी से सैन्य अड्डों पर मची तबाही से कांप उठा था पाकिस्तान, सीजफायर के लिए अमेरिका से लगाई थी गुहार

Published on: 12 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
भारत ने 10 मई को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य अड्डों पर सटीक हवाई हमले किए. इन हमलों ने पाकिस्तान को घबराहट में डाल दिया और अमेरिका को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर कर दिया. 10 मई की सुबह भारतीय वायु सेना (IAF) ने पाकिस्तान के 11 सैन्य अड्डों पर हवाई हमले किए. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रफीकी, मुरिद, नूर खान, रहीम यार खान, सुक्कुर, चुनियां, पासरूर और सियालकोट जैसे हवाई अड्डे निशाने पर थे. सैटेलाइट तस्वीरों ने हमलों की व्यापकता को उजागर किया, जिसमें नष्ट हुए हैंगर, उखड़े रनवे और रहीम यार खान हवाई अड्डे पर बना विशाल गड्ढा साफ दिखाई दिया. पासरूर, चुनियां और अरिफवाला में हवाई रक्षा रडार भी क्षतिग्रस्त हुए.
नूर खान हवाई अड्डे का सामरिक महत्व
चकलाला में नूर खान हवाई अड्डे पर हमला विशेष रूप से महत्वपूर्ण था. यह अड्डा पाकिस्तान के परिवहन स्क्वाड्रनों का मुख्य केंद्र है, जहां सी-130 हरक्यूलिस और आईएल-78 मिड-एयर रिफ्यूलर जैसे विमान तैनात हैं. यह अड्डा रावलपिंडी के पास है, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली सामरिक योजनाएं डिवीजन के मुख्यालय के करीब है. रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि भारत के हमलों ने पाकिस्तान को जहां दुखता है, वहां चोट की.
पाकिस्तान ने अमेरिका से लगाई सीजफायर की गुहार
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने भारत के हमलों के कुछ घंटों बाद ही सैन्य कार्रवाइयों को रुकवाने के लिए अमेरिका से गुहार लगाई थी. इससे पहले, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से गुजरात तक 15 भारतीय हवाई अड्डों और सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए थे, जिसमें 16 नागरिक मारे गए और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा. इन्हीं हमलों के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ यह कार्रवाई की थी.
शरीफ ने बुलाई थी आपात बैठक
भारत के हवाई हमलों से घबराए पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने उसी समय राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी जो देश के परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए जिम्मेदार सर्वोच्च निकाय है. हालांकि बाद में पाकिस्तान ने बैठक से इनकार कर दिया था लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत की कड़ी कार्रवाई से पाकिस्तान भारी दबाव में आ गया था.
भारत की कार्रवाई से चिंतित था ट्रंप प्रशासन
सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत की कार्रवाई से ट्रंप प्रशासन चिंतित था. उन्हें डर था कि यह संघर्ष नियंत्रण से बाहर हो सकता है. इसी बीच विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान गोलीबारी बंद करने को तैयार है क्या भारत इस पर सहमत होगा.
इस पर जयशंकर ने जवाब दिया था अगर वे गोलीबारी नहीं करेंगे तो हम भी गोलीबारी नहीं करेंगे. इसके बाद पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) ने स्थापित चैनलों के माध्यम से भारत में अपने समकक्षों से संपर्क कर युद्धविराम की मांग की.