Waqf Amendment Act 2025: वक्फ संपत्तियों में 116% बढ़ोतरी का दावा गलत? याचिकाकर्ताओं ने कहा- सरकार ने छिपाए सच्चे आंकड़े

Published on: 04 May 2025 | Author: Anvi Shukla
Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार के 116% वक्फ संपत्ति बढ़ने के दावे को 'भ्रामक' और 'तथ्य छुपाने वाला' बताया है. वकील तल्हा अब्दुल रहमान द्वारा दायर जवाबी हलफनामे में कहा गया कि ये नई संपत्तियां असल में 2013 से पहले पंजीकृत थीं लेकिन बाद में वक्फ एसेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर अपडेट की गईं.
हलफनामे में कहा गया, 'ऐसा लगता है कि संबंधित पोर्टल के प्रभारी अधिकारी ने या तो जानबूझकर तथ्य छुपाए या लापरवाही से यह गलत चार्ट तैयार किया.' याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के दावे को 'बिना आधार के और अपमानजनक' कहा है.
2025 कानून क्यों बना विवाद का कारण?
सरकार ने 25 अप्रैल को दायर हलफनामे में कहा था कि 2013 से पहले लगभग 18 लाख एकड़ वक्फ जमीन थी, जो 2024 तक 38 लाख एकड़ हो गई – यानी 116% की बढ़ोतरी. इसके पीछे अतिक्रमण और पारदर्शिता की जरूरत बताई गई. लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसे 125 साल पुरानी कानूनी व्यवस्था में जबरन बदलाव बताते हुए कानून पर रोक लगाने की मांग की.
वास्तविक आंकड़े अलग बताते हैं कहानी
सरकार के अनुसार 2025 में वक्फ संपत्तियां 6.65 लाख हैं, जबकि वक्फ बोर्ड के CEO द्वारा दिए गए आंकड़ों में यह संख्या मात्र 3.3 लाख है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि WAMSI पोर्टल एक ही वक्फ एस्टेट की कई यूनिट्स को मिलाकर एक संपत्ति मानता है.
कानून से समुदाय के अधिकारों को खतरा
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नया कानून कलेक्टर को बहुत अधिक शक्ति देता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की वक्फ संपत्तियों और धार्मिक अधिकारों पर असर पड़ सकता है.
मौलिक अधिकारों पर असर
उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि कानून की जांच संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 25 और 26 के तहत की जाए. साथ ही कहा गया कि सरकार ‘essential religious practice’ की आड़ में संवैधानिक चुनौती से नहीं बच सकती. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह पहले पांच प्रमुख याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनेगा. सुनवाई से पहले सरकार ने भरोसा दिलाया है कि तब तक वक्फ संपत्तियों की स्थिति नहीं बदलेगी.