5 साल से जेल में बंद प्रोफेसर हनी बाबू को सुप्रीम कोर्ट से झटका, जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट या हाईकोर्ट जाने के आदेश

Published on: 16 Jul 2025 | Author: Kuldeep Sharma
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार प्रोफेसर हनी बाबू को सुप्रीम कोर्ट से उस समय झटका लगा जब कोर्ट ने साफ किया कि वर्तमान याचिका केवल स्पष्टीकरण की मांग कर रही है, न कि जमानत की. कोर्ट ने उन्हें तीन विकल्प सुझाए- ट्रायल कोर्ट जाना, हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना या सुप्रीम कोर्ट में पुरानी याचिका की बहाली कराना.
बुधवार को जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने हनी बाबू की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वे मौजूदा याचिका के तहत जमानत नहीं दे सकते क्योंकि यह केवल स्पष्टीकरण मांग रही है. बाबू की ओर से वकील पायोशी रॉय ने कहा कि उनकी याचिका मई 2024 में वापस ली गई थी और अब वे उसकी बहाली चाहते हैं. कोर्ट ने कहा, "आप आवेदन दीजिए, हम बहाल कर देंगे. हमें न्याय करना है और किसी के अधिकारों को सीमित नहीं करना है."
पांच साल से जेल में हैं हनी बाबू
रॉय ने कोर्ट को बताया कि बाबू पिछले पांच वर्षों से जेल में हैं, जबकि अब तक ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इस केस में शामिल आठ अन्य आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है और बाबू की स्थिति उनसे ज्यादा मजबूत है. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सितंबर 2022 में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बाबू एक सक्रिय सदस्य थे और साजिश में उनकी भूमिका स्पष्ट दिखती है.
एनआईए का विरोध, निचली अदालत का हवाला
एनआईए ने एक बार फिर कोर्ट में विरोध दर्ज कराया और कहा कि बाबू के पास केवल एक ही विकल्प है- NIA कोर्ट में नई जमानत याचिका दाखिल करना. एजेंसी का आरोप है कि बाबू प्रतिबंधित माओवादी संगठन से जुड़े थे और एल्गार परिषद कार्यक्रम के माध्यम से हिंसा भड़काने की साजिश में शामिल थे. 2017 में पुणे के पास कोरेगांव-भीमा स्मारक के नजदीक हिंसा भड़कने का मामला इसी से जुड़ा है.
गिरफ्तारी, आरोप और याचिका की स्थिति
गौरतलब है कि हनी बाबू को 28 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया गया था. तब से वे तलोजा जेल में बंद हैं. उन पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है. एनआईए का दावा है कि उनके लैपटॉप में माओवादी संपर्क के संकेत मिले, जबकि बाबू ने इसे पर्याप्त सबूत न होने की बात कहकर खारिज किया है. अब जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें विकल्प सुझाए हैं, तो संभावना है कि बाबू पुरानी याचिका की बहाली का रास्ता अपनाएंगे या फिर ट्रायल कोर्ट का रुख करेंगे.