सिंदुर, महादेव और शिवशक्ती..., आतंकियों को सफाया करने के लिए ऑपरेशन का नाम क्यों और किस आधार पर दिया जाता है?

Published on: 31 Jul 2025 | Author: Reepu Kumari
भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी हासिल की है. लगातार आतंकी गतिविधियों पर नजर रख रही सेना ने ऑपरेशन शिवशक्ति के तहत दो आतंकीयों को ढेर कर दिया. इससे पहले ऑपरेशन महादेव के अंतर्गत तीन आतंकियों को मार गिराया गया था.
तीन दिन के भीतर सेना की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है, जो उसके सतर्कता और खुफिया तंत्र की मजबूती को दर्शाती है. गृहमंत्री अमित शाह ने भी संसद में सेना की इस कामयाबी का उल्लेख किया है.
पुंछ में घुसपैठ की कोशिश नाकाम, सेना ने दो आतंकी किए ढेर
सेना को पहले से ही खुफिया इनपुट था कि पुंछ सेक्टर में कुछ आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं. जैसे ही ये आतंकी एलओसी पार करने की कोशिश कर रहे थे, सतर्क जवानों ने एक्शन लिया और दोनों को मार गिराया. इन आतंकियों की पहचान लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ाव के रूप में हुई है. ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई.
हथियारों का जखीरा मिला, लंबी लड़ाई की थी तैयारी
मारे गए आतंकियों के पास से दो असॉल्ट राइफलें, ग्रेनेड, पिस्टल, IED, दवाइयां और कम्युनिकेशन डिवाइस जैसे कई सामान बरामद हुए हैं. इससे साफ होता है कि वे लंबी मुठभेड़ की तैयारी में आए थे. सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्थवाल के अनुसार, यह कार्रवाई पूरी तरह पुख्ता खुफिया सूचना के आधार पर की गई थी.
क्यों रखा गया ‘ऑपरेशन शिवशक्ति’ नाम?
पुंछ क्षेत्र में बूढ़ा अमरनाथ यात्रा का आयोजन होता है और यह इलाका आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी वजह से इस ऑपरेशन का नाम ‘शिवशक्ति’ रखा गया. इससे पहले श्रीनगर में हुए ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ रखा गया था क्योंकि वह महादेव रिज के पास हुआ था. सेना हर बड़े ऑपरेशन को एक कोड नेम देती है ताकि ऑपरेशन के दौरान कोई भ्रम न हो और उसका महत्व भी दर्शाया जा सके.
कब दिया जाता है ऑपरेशन का नाम?
सेना सूत्रों के अनुसार, जब एलओसी पर अचानक घुसपैठ की कोशिश होती है और सैनिक मौके पर ही कार्रवाई करते हैं, तो उसे आमतौर पर कोई नाम नहीं दिया जाता. ये तात्कालिक प्रतिक्रियाएं होती हैं जो बिना पूर्व योजना के की जाती हैं. लेकिन जब किसी पुख्ता खुफिया सूचना के आधार पर ऑपरेशन पहले से प्लान किया जाता है, तब उसका एक कोड नाम तय किया जाता है. क्योंकि ऐसे ऑपरेशनों में अलग-अलग स्तरों पर अधिकारी और जवान शामिल होते हैं, और तालमेल बनाए रखने के लिए स्पष्ट पहचान जरूरी होती है.
कोड नेम क्यों दिया जाता है?
कोड नेम इसलिए रखा जाता है ताकि कम्युनिकेशन में किसी तरह का कंफ्यूजन न हो. जैसे ही किसी ऑपरेशन का नाम लिया जाए, सभी को तुरंत समझ आ जाए कि किस इलाके या मिशन की बात हो रही है. आमतौर पर ऑपरेशन का नाम उस क्षेत्र की भौगोलिक, ऐतिहासिक या धार्मिक पहचान से जुड़ा होता है, जिससे उसकी अहमियत भी झलकती है. ऐसा नाम चुनने का मकसद यह होता है कि ऑपरेशन का उद्देश्य और उसका स्थान दोनों आसानी से पहचाने जा सकें.