'मुझे आवास की जरूरत...', सरकारी बंगला खाली कराने को लेकर नए CJI ने डी.वाई चंद्रचूड़ से कही थी ये बात

Published on: 02 Aug 2025 | Author: Kuldeep Sharma
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जो नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे, आखिरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित 5, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास से स्थानांतरित हो गए हैं. यह वही आधिकारिक बंगलो है जहां वर्तमान मुख्य न्यायाधीश को निवास करना होता है. हाल ही में इस बात को लेकर विवाद खड़ा हुआ था कि सेवानिवृत्ति के कई महीनों बाद भी वह वहीं रह रहे थे.
नियमों के अनुसार, कोई भी सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट जजेज (संशोधित) नियम, 2022 के तहत अधिकतम छह महीने तक टाइप VII बंगलो में रह सकता है, जो कि मुख्य न्यायाधीश के निवास से एक स्तर नीचे होता है. लेकिन मई 2024 के बाद जब यह अवधि समाप्त हो गई, तब भी न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उसी बंगलो में रह रहे थे. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर आग्रह किया कि उन्हें बंगलो खाली करने को कहा जाए.
पूर्व CJI की सफाई और पारिवारिक मजबूरी
इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बताया कि उनका सारा सामान पैक हो चुका है और कुछ सामान पहले ही नए घर में भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि उनकी दोनों बेटियाँ, प्रियंका और माही, दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर अनुकूल आवास की आवश्यकता थी. इसलिए वे नए सरकारी आवास की तैयारी पूरी होने का इंतज़ार कर रहे थे. उन्होंने इस पूरे विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए स्पष्ट किया कि कोई भी न्यायाधीश अपना निर्णय किसी को प्रसन्न या अप्रसन्न करने के लिए नहीं करता.
नए घर में स्थानांतरण की प्रक्रिया
पूर्व सीजेआई ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना से चर्चा की थी और उन्हें बताया था कि वह वापस 14, तुगलक रोड स्थित अपने पूर्ववर्ती आवास में जाना चाहते हैं. लेकिन न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि उन्हें तत्काल उस बंगलो की आवश्यकता नहीं है, इसलिए उन्होंने चंद्रचूड़ को वहां रहने की अनुमति दे दी. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्रीय मंत्रालय को पत्र भेजा और यह स्पष्ट किया कि अनुमति की अवधि समाप्त हो चुकी है, अतः आवास तत्काल खाली कराया जाए.
अब आगे क्या?
अब जबकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आधिकारिक रूप से वह बंगलो खाली कर दिया है, यह विवाद भी धीरे-धीरे शांत होता दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने यह कदम नियमों और अनुशासन की दृष्टि से उठाया था, लेकिन इस मामले ने यह भी दिखाया कि सिस्टम को अधिक संवेदनशील और लचीला बनाए जाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से उन परिस्थितियों में जहां पारिवारिक और मानवीय पहलू जुड़ते हैं.