इंडो-पैसिफिक में लगातर बढ़ रहा चीन का दखल, ड्रैगन को काबू करने के लिए भारत ने फिलीपींस में तैनात किए तीन युद्धपोत

Published on: 02 Aug 2025 | Author: Kuldeep Sharma
दक्षिण चीन सागर और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच भारत ने अपनी समुद्री रणनीति को और धार दी है. भारतीय नौसेना ने अपनी तैनाती बढ़ाते हुए अब दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की ओर रुख किया है. इसके तहत भारत के तीन युद्धपोत फिलीपींस की राजधानी मनीला पहुंचे हैं जबकि एक अन्य युद्धपोत सिंगापुर की नौसेना के साथ एक संयुक्त अभ्यास में शामिल है. यह भारत की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ साझेदारी को मजबूती देने के साथ-साथ चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना चाहता है.
फिलीपींस में भारतीय युद्धपोतों की तैनाती भारत-फिलीपींस रक्षा संबंधों को नया आयाम देने की दिशा में अहम कदम है. INS दिल्ली, INS किलटन और INS शक्ति मनीला में भारतीय नौसेना की ओर से भेजे गए हैं, जिनका नेतृत्व ईस्टर्न फ्लीट के कमांडर रियर एडमिरल सुशील मेनन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत और फिलीपींस दोनों समुद्री क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. आने वाले दिनों में दोनों देशों की नौसेनाएं एक द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लेंगी, जिसमें संयुक्त अभ्यास, संचार प्रणाली, और रणनीतिक समन्वय पर ज़ोर रहेगा.
सिंगापुर के साथ 'सिमबेक्स' में INS सतपुड़ा की भागीदारी
इसी के साथ, भारतीय स्टील्थ फ्रिगेट INS सतपुड़ा 32वें 'सिमबेक्स' अभ्यास में सिंगापुर नेवी के साथ भाग ले रहा है. यह अभ्यास भारत और सिंगापुर के बीच लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों का प्रतीक है. अभ्यास में हवाई सुरक्षा, हेलिकॉप्टर की क्रॉस-डेक उड़ानें, सतही और हवाई लक्ष्यों पर निशाना साधना, जटिल युद्धाभ्यास और 'विज़िट, बोर्ड, सर्च एंड सीज़र' (VBSS) जैसी आधुनिक नौसैनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है.
ब्रह्मोस के बाद बढ़ी रक्षा निर्यात की तैयारी
भारत की दक्षिण-पूर्व एशिया में रक्षा भागीदारी केवल युद्धपोतों की तैनाती तक सीमित नहीं है. जनवरी 2022 में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की तीन तटीय बैटरियां 375 मिलियन डॉलर में बेचने का समझौता किया था. इसके बाद से भारत इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे आसियान देशों को भी रक्षा उपकरण बेचने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. इसके तहत भारत अब ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली को भी इन देशों को निर्यात करने की योजना बना रहा है. यह प्रणाली दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइल को 25 किलोमीटर की दूरी तक मार गिराने में सक्षम है.
रणनीतिक सहयोग से बढ़ती विश्वास की डोर
इस तरह के सैन्य और सामरिक अभ्यास केवल तकनीकी प्रदर्शन भर नहीं हैं, बल्कि ये साझेदार देशों के बीच विश्वास और तालमेल को मज़बूत करने का एक माध्यम भी हैं. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जहां सामरिक खींचतान चरम पर है, भारत की यह तैनाती यह स्पष्ट करती है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर न केवल संजीदा है बल्कि सक्रिय भी. इससे भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी नई दिशा मिलती है.