भाजपा सरकार के स्कूल फीस बिल से पैरेंट्स की कटेगी जेब, निजी स्कूलों की मनेगी दिवाली- सौरभ भारद्वाज

Published on: 02 Aug 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
दिल्ली में भाजपा सरकार के प्रस्तावित स्कूल फीस कंट्रोल बिल ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है. आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि यह बिल निजी स्कूलों को मनमानी करने की खुली छूट देगा, जिससे अभिभावकों की जेब पर भारी बोझ पड़ेगा.
ऑडिट प्रावधान खत्म, शिकायत के लिए 15% अभिभावक जरूरी
सौरभ भारद्वाज ने बिल की प्रति का हवाला देते हुए कहा, "नए कानून में स्कूलों के ऑडिट का प्रावधान खत्म कर दिया गया है और बढ़ी फीस की शिकायत के लिए कम से कम 15 फीसद पैरेंट्स का होना अनिवार्य कर दिया गया है." पहले एक अभिभावक भी फीस वृद्धि की शिकायत कर सकता था, लेकिन अब, उदाहरण के लिए, 3000 बच्चों वाले स्कूल में 450 अभिभावकों के हस्ताक्षर चाहिए." उन्होंने सवाल उठाया, "इतने पैरेंट्स को कौन ढूंढेगा?
फीस निर्धारण कमेटी में स्कूलों का दबदबा
बिल में 10 सदस्यीय फीस निर्धारण कमेटी का प्रावधान है, जिसमें 5 सदस्य स्कूल के होंगे और 5 अभिभावकों के, जिन्हें स्कूल ही लॉटरी से चुनेगा. भारद्वाज ने कहा, "10 सदस्यीय कमेटी में पांच सदस्य स्कूल के होंगे और पैरेंट्स के 5 सदस्य भी स्कूल ही लॉटरी से चुनेगा, जो फीस बढ़ाने में मदद करेगा." इससे स्कूल मालिक अपने चहेतों को कमेटी में शामिल कर मनमानी फीस वृद्धि कर सकेंगे.
अप्रैल की फीस वृद्धि पर सवाल
भारद्वाज ने बताया कि अप्रैल में कई स्कूलों ने 80-82% तक फीस बढ़ाई. डीपीएस द्वारका के बाहर अभिभावकों ने धरना दिया, बच्चों को प्रताड़ित किया गया. उन्होंने पूछा, "सीएम-शिक्षा मंत्री बताएं, अप्रैल में जिन स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई है, नए कानून से उसे वापस कैसे कराएंगे?" उन्होंने यह भी सवाल किया कि ऑडिट प्रावधान क्यों हटाया गया और बिना ऑडिट के फीस वृद्धि कैसे नियंत्रित होगी.
शिक्षा माफिया को बढ़ावा
भारद्वाज ने चेतावनी दी कि यह बिल शिक्षा माफिया को मजबूत करेगा. "यह तो ऐसे ही है जैसे किसी गली में सीवर भर गया तो पहले मोहल्ले भर के 15 फीसद लोगों से हस्ताक्षर कराओ, तब सीवर खुलेगा." उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा स्कूलों की ऑडिट करने की नहीं है, जिससे निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ेगी.