स्टालिन ने 8 गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर करी ये अपील

Published on: 18 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने रविवार को गैर-भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित आठ राज्यों के अपने समकक्षों को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा मांगे गए राष्ट्रपति संदर्भ का विरोध करने का आह्वान किया. स्टालिन ने एकजुट होकर "न्यायालय में समन्वित कानूनी रणनीति विकसित करने और एक संयुक्त मोर्चा पेश करने" के लिए सहयोग मांगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 13 मई को 14 सवाल उठाए जाने के बाद आया, जो 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की संवैधानिकता और दायरे से संबंधित हैं. इस फैसले ने राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित बिलों को मंजूरी देने की समय-सीमा तय की थी.
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
बीते 8 अप्रैल का सुप्रीम कोर्ट का फैसला द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) शासित तमिलनाडु सरकार की याचिका पर आधारित था, जिसमें राज्यपाल आर. एन. रवि द्वारा राज्य के बिलों को रोकने और उन्हें राष्ट्रपति को विचार के लिए भेजने के खिलाफ शिकायत की गई थी. स्टालिन ने कहा, "बीजेपी नीत केंद्र सरकार इस फैसले को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, जिसे अन्य राज्य तब लागू कर सकते हैं जब वे एक जिद्दी राज्यपाल का सामना करें. उन्होंने आगे कहा, "उनकी चाल के पहले चरण के रूप में, बीजेपी सरकार ने राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट में संदर्भ मांगने की सलाह दी है."
स्टालिन का गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों को पत्र
तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने हिमाचल प्रदेश (सुखविंदर सिंह सुखू), झारखंड (हेमंत सोरेन), जम्मू-कश्मीर (उमर अब्दुल्ला), केरल (पिनराई विजयन), कर्नाटक (सिद्धारमैया), तेलंगाना (रेवंत रेड्डी), पंजाब (भगवंत मान) और पश्चिम बंगाल (ममता बनर्जी) के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा. उन्होंने कहा, "मेरी सरकार द्वारा प्राप्त यह ऐतिहासिक फैसला केवल मेरे राज्य के लिए नहीं, बल्कि सभी राज्यों के लिए है, क्योंकि यह संघीय ढांचे और राज्यों व केंद्र के बीच शक्तियों के वितरण को बनाए रखता है, जिससे केंद्र द्वारा नियुक्त और गैर-निर्वाचित व्यक्ति राज्यपाल द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधानों को बाधित करने से रोका जाता है.
केंद्र और राज्यपालों की भूमिका पर उठे सवाल
स्टालिन ने आरोप लगाया कि बीजेपी नीत केंद्र सरकार राज्यपालों का उपयोग गैर-बीजेपी शासित राज्यों के कामकाज में बाधा डालने के लिए करती है. उन्होंने बिलों को मंजूरी देने में अनावश्यक देरी, बिना वैध संवैधानिक कारणों के मंजूरी रोकना, सामान्य फाइलों और सरकारी आदेशों को रोकना, महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों में हस्तक्षेप और विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में शैक्षणिक संस्थानों का राजनीतिकरण करने जैसे मुद्दों का जिक्र किया.
स्टालिन ने कहा, "वे ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि संविधान कुछ मुद्दों पर मौन है, क्योंकि संविधान निर्माताओं को भरोसा था कि उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोग संवैधानिक नैतिकता के अनुसार काम करेंगे."
सीएम स्टालिन ने एकजुटता का आह्वान
सीएम स्टालिन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह सुनिश्चित करता है कि केंद्र सरकार बिना उचित कारण के राज्य सरकारों के कर्तव्यों में हस्तक्षेप न करे. उन्होंने बीजेपी सरकार के संदर्भ मांगने को "उनके नापाक इरादों" का संकेत बताया. उन्होंने कहा, "इस महत्वपूर्ण मोड़ पर, मैंने सभी राज्य सरकारों और क्षेत्रीय दलों के नेताओं, जो बीजेपी का विरोध करते हैं और हमारे संघीय ढांचे और राज्य स्वायत्तता को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.