शिमला समझौता के बाद ताशकंद समझौता तोड़ेगा पाकिस्तान, भारत के एक्शन से बौखलाया पड़ोसी देश करने जा रहा बड़ी भूल!

Published on: 25 Apr 2025 | Author: Gyanendra Sharma
भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ता जा रहा है. दोनों देश के बीच फिलहाल जुबानी जंग जारी है भारत ने सिंधु जल समझौता समनेत कई कड़े फैसले लिए हैं. वहीं पाकिस्तान ने भी शिमला समझौता रद्द कर दिया. इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान ताशकंद समझौता से भी पीछे हट सकता है.
IDRW की खबर में कुछ रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए जाकारी दी है कि पाकिस्तान 1966 में हुए ताशकंद समझौता को रद्द करने के बारे में सोच रहा है. यह समझौता एक शांति संधि थी. जिसे उज्बेकिस्तान के ताशकंद में साइन किया गया था.
क्या है ताशकंद समझौता?
ताशकंद समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 को सोवियत संघ के ताशकंद (अब उज्बेकिस्तान की राजधानी) में हस्ताक्षरित एक शांति समझौता था. यह समझौता 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने और दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था. इसकी मध्यस्थता सोवियत संघ के तत्कालीन प्रधानमंत्री एलेक्सी कोसीगिन ने की थी.
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और रण ऑफ कच्छ जैसे मुद्दों को लेकर युद्ध छिड़ गया था. सितंबर 1965 में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से युद्धविराम की घोषणा हुई, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बना रहा. इस स्थिति को नियंत्रित करने और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए ताशकंद में वार्ता आयोजित की गई.
समझौते के प्रमुख बिंदु
युद्धविराम : भारत और पाकिस्तान इस समझौते के तहत 5 अगस्त 1965 से पहले की अपनी-अपनी सीमाओं पर लौटने के लिए सहमत हुए. युद्ध के दौरान कब्जाए गए जमीन को भी खाली किया.
युद्धबंदियों की रिहाई: दोनों देशों ने युद्धबंदियों को रिहा करने के साथ उनके प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति जताई.
शांतिपूर्ण समाधान: भारत और पाकिस्तान ने भविष्य में अपने विवादों को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हल करने का संकल्प लिया.
आर्थिक और राजनयिक संबंध: दोनों देशों ने व्यापार, संचार और राजनयिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति जताई.
गैर-हस्तक्षेप: दोनों पक्ष एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के लिए सहमत हुए.
भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के अगले दिन लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था। वे अपने कमरे में मृत पाए गए. उनकी मौत के पीछे दिल के दौरा का कारण बताया गया, लेकिन इसे लेकर सवाल हैं.