चीन ने फिर दुनिया को सदमे में डाला, बना डाली धरती के किसी भी कोने को 30 मिनट में तबाह करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल

Published on: 12 May 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
China: चीन ने एक बड़ा दावा किया है, जिसके तहत वह अंतरिक्ष से हाइपरसोनिक मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता रखता है. यह विकास वैश्विक रक्षा रणनीतियों में एक बड़ा बदलाव ला सकता है. चीन के इस कदम से दुनिया सदमे में है. चीन के वैज्ञानिकों के अनुसार, अब उनके पास ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं, जो पृथ्वी के किसी भी स्थान पर महज 30 मिनट में हमला करने में सक्षम हैं.
चीन के वैज्ञानिक पत्रिका Acta Aeronautica et Astronautica Sinica में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इन मिसाइलों में एक रि-एंट्री ग्लाइड व्हीकल (RGV) होता है, जो Mach 20 की गति (13,000 किलोमीटर प्रति घंटे) से उड़ सकता है. इसका मतलब यह है कि चीन किसी भी स्थान को मात्र 30 मिनट में निशाना बना सकता है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों की खासियत
हाइपरसोनिक मिसाइलों का डिजाइन इस तरह से किया गया है कि ये पारंपरिक रक्षा प्रणालियों को धोखा देने में सक्षम हैं. इन मिसाइलों की गति इतनी अधिक होती है कि इन्हें सामान्य रडार तकनीकों से पकड़ना मुश्किल होता है, हालांकि इन्हें इन्फ्रारेड तकनीक के माध्यम से ट्रैक किया जा सकता है. साथ ही, रि-एंट्री ग्लाइड व्हीकल (RGV) इन मिसाइलों को अचानक दिशा बदलने और अप्रत्याशित तरीके से हमला करने की क्षमता देता है.
उपयोग की जगह और लॉन्च प्लेटफॉर्म
ये मिसाइलें विभिन्न लॉन्च प्लेटफॉर्म से छोड़ी जा सकती हैं, जिनमें उपग्रह और जमीनी सिस्टम दोनों शामिल हैं. इसकी बहुआयामी प्रकृति इसे और भी खतरनाक बना देती है, क्योंकि इन मिसाइलों को कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है.
वैश्विक प्रतिस्पर्धा: हाइपरसोनिक मिसाइलों की दौड़
दुनिया की प्रमुख शक्तियां इस समय हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में भारी निवेश कर रही हैं. अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल डेवलप कर रहे हैं. इस परियोजना में अब तक 200 से अधिक परीक्षण किए जा चुके हैं और 2030 तक यह मिसाइल तैयार होने की उम्मीद है. यह नई मिसाइल टेक्नोलॉजी वैश्विक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है.
भारत की स्थिति: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी में विकास
भारत भी इस तकनीकी दौड़ में पीछे नहीं है. 2020 में, भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया था. इसके अलावा, भारत ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास में भी जुटा हुआ है, जो चीन के मुकाबले रणनीतिक समानता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
भारत को इन मिसाइलों से निपटने के लिए और सुधार की आवश्यकता
भारत के पास पहले से ही S-400 और पृथ्वी जैसी उन्नत वायु रक्षा प्रणालियां हैं, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलों के खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी रक्षा क्षमताओं में और सुधार करने की आवश्यकता है. नवंबर 2024 में, भारत ने ओडिशा के APJ अब्दुल कलाम द्वीप से एक लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने में सक्षम है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों की क्षमता और खतरा
हाइपरसोनिक मिसाइलें आम तौर पर 5 गुना ध्वनि की गति (Mach 5) से अधिक की गति से उड़ सकती हैं, जो समुद्र स्तर पर लगभग 1,220 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. हालांकि, कुछ उन्नत मिसाइलें Mach 15 तक की गति से भी उड़ सकती हैं, जिससे उनकी नज़रअंदाज़ करने की संभावना और भी कम हो जाती है. रूस और चीन इस क्षेत्र में काफी आगे हैं, जबकि अमेरिका भी इस दिशा में अपनी मिसाइलों का विकास कर रहा है.