'हाथ से जा रहा है बलूचिस्तान, मंत्रियों की रात में निकलने की हिम्मत नहीं', पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी के दावे से हिला पाकिस्तान

Published on: 07 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
पाकिस्तान, भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाबी हमलों से जूझ रहा है, लेकिन उसका घरेलू संकट भी गहरा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने दावा किया है कि बलूचिस्तान पर इस्लामाबाद का नियंत्रण तेजी से कमजोर हो रहा है. द बलूचिस्तान पोस्ट के हवाले से अब्बासी ने कहा, “रात होने के बाद क्वेटा में राज्य की मौजूदगी लगभग खत्म हो जाती है.” उन्होंने सेना प्रमुख असीम मुनीर के उस दावे को खारिज किया कि बलूचिस्तान में केवल 1,500 लोग अशांति के लिए जिम्मेदार हैं. अब्बासी ने कहा, “असीम मुनीर जो कहें, वह उनकी राय है, मैं केवल वही बता रहा हूं जो मैंने देखा.”
मंत्रियों में रात में बाहर निकलने की हिम्मत नहीं
5 मई को दिए इंटरव्यू में अब्बासी ने बलूचिस्तान की गंभीर स्थिति उजागर की. उन्होंने कहा, “यह कानून-व्यवस्था का पतन नहीं, बल्कि राज्य के कमजोर होते अधिकार का संकेत है.” मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को सुरक्षा के बिना रात में बाहर निकलने की हिम्मत नहीं है. 6 मई को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने बोलन और केच में दो हमलों में 14 सैनिकों को मारकर अब्बासी के दावों को सही साबित किया.
बलूच विद्रोह की ताकत
अब्बासी ने बताया कि बलूच विद्रोही प्रमुख राजमार्गों पर खुलेआम गश्त करते हैं, चेकपॉइंट लगाते हैं और शहरी क्षेत्रों पर घंटों कब्जा करते हैं. उन्होंने मुनीर के दावे को गलत ठहराते हुए कहा, “1,500 लोगों को दोष देना वास्तविक समस्या से बचने का तरीका है. वास्तविकता यह है कि बलूचिस्तान पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण नहीं है.” BLA ने CPEC परियोजनाओं और पाकिस्तानी सेना पर हमले तेज कर दिए हैं.
रणनीतिक महत्व और चुनौतियां
बलूचिस्तान, जहां CPEC का ग्वादर बंदरगाह स्थित है, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है लेकिन क्वेटा जैसे शहरों और माच, तुरबत जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में BLA के हमले पाकिस्तान की कमजोरी उजागर करते हैं. 2024 में बलूचिस्तान में मारे गए सुरक्षा बलों की संख्या 2023 की तुलना में 40% बढ़ी. अब्बासी ने 2023 में चेतावनी दी थी कि आर्थिक और राजनीतिक संकट सैन्य तख्तापलट को आमंत्रित कर सकता है.