Justice Verma: कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस्तीफे से किया इनकार, महाभियोग की तैयारी में CJI

Published on: 09 May 2025 | Author: Ritu Sharma
Justice Verma: दिल्ली स्थित सरकारी आवास से नकदी मिलने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है, जिसमें तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा की प्रतिक्रिया भी शामिल है. यह पत्र सुप्रीम कोर्ट की 'इन-हाउस प्रोसीजर' प्रक्रिया के तहत भेजा गया है.
जस्टिस वर्मा का दो टूक जवाब – पद नहीं छोड़ूंगा
सूत्रों के अनुसार, जांच समिति की रिपोर्ट में नकदी बरामदगी के आरोपों की पुष्टि होने के बाद CJI ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने या वोलंटरी रिटायरमेंट लेने की सलाह दी थी. लेकिन जस्टिस वर्मा ने इस सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया और पद पर बने रहने की जिद पर अड़े हुए हैं. इससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है.
बता दें कि ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं कि CJI ने केंद्र सरकार से महाभियोग चलाने की सिफारिश कर दी है. अगर जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा नहीं देते हैं, तो संवैधानिक प्रक्रिया के तहत संसद में महाभियोग चलाया जा सकता है. इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.
समिति की रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि
वहीं तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट 3 मई को अंतिम रूप दी थी. समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं. रिपोर्ट में नकदी मिलने की पुष्टि की गई है.
50 से ज्यादा गवाहों से दर्ज किए गए बयान
इसके अलावा, जांच के दौरान समिति ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा, अग्निशमन विभाग के प्रमुख समेत 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए. ये सभी लोग 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद वहां पहुंचे थे. वर्मा ने इन सभी आरोपों को झूठा और मनगढंत बताया है.
क्या है इन-हाउस प्रोसीजर?
हालांकि, इन-हाउस प्रोसीजर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित एक आंतरिक अनुशासनिक प्रक्रिया है, जिसे न्यायिक आचरण पर सवाल उठने पर इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रक्रिया 1997 में तय हुई थी और 1999 में सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने इसे मान्यता दी थी.