'मैं 5 साल के लिए चुना गया हूं', विधानसभा में CM सिद्धारमैया ने कुर्सी छोड़ने से किया इनकार, डीके शिवकुमार चुनेंगे बगावत का रास्ता!
Published on: 19 Dec 2025 | Author: Kuldeep Sharma
कर्नाटक कांग्रेस में लंबे समय से चल रही नेतृत्व को लेकर अटकलों पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बड़ा और स्पष्ट बयान देकर विराम लगाने की कोशिश की है.
विधानसभा के भीतर उन्होंने दो टूक कहा कि उनके और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच किसी भी तरह का 2.5 साल का सत्ता-साझेदारी समझौता कभी हुआ ही नहीं. उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब पार्टी के भीतर खींचतान खुलकर सामने आने लगी है.
विधानसभा में सीधा संदेश
शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा के पटल पर बोलते हुए सिद्धारमैया ने कहा, 'मैं मुख्यमंत्री हूं और हाईकमान के आदेश तक बना रहूंगा. मुझे पांच साल के लिए चुना गया है.' उनके इस बयान को नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं पर सीधा प्रहार माना जा रहा है. उन्होंने साफ कर दिया कि कार्यकाल को लेकर कोई भ्रम नहीं है और सरकार स्थिर है.
2.5 साल के फॉर्मूले से इनकार
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 2.5 साल के रोटेशनल मुख्यमंत्री पद पर कभी कोई निर्णय नहीं हुआ. उन्होंने कहा, 'ऐसी कोई बात कभी कही ही नहीं गई.' सिद्धारमैया का यह बयान उन दावों के विपरीत है, जिनमें डीके शिवकुमार समर्थक इसे एक ‘ओपन सीक्रेट’ बताते रहे हैं. इससे पार्टी के भीतर मतभेद और स्पष्ट हो गए हैं.
डीके शिवकुमार की गैरमौजूदगी
गौर करने वाली बात यह रही कि यह बयान उस समय आया, जब उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सदन में मौजूद नहीं थे. वे उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला स्थित अंडले जगदिश्वरी मंदिर में दर्शन के लिए गए हुए थे. राजनीतिक हलकों में उनकी इस यात्रा को मौजूदा घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि वे अहम मौकों पर आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेते रहे हैं.
बेलगावी की डिनर मीटिंग
सिद्धारमैया के बयान से एक रात पहले बेलगावी में लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर एक अहम रात्रिभोज बैठक हुई. इसमें गृह मंत्री जी परमेश्वर, एचसी महादेवप्पा और एमसी सुधाकर जैसे करीबी मंत्री शामिल थे. भले ही इसे अनौपचारिक मुलाकात बताया गया, लेकिन इसे मुख्यमंत्री खेमे की शक्ति-प्रदर्शन के तौर पर देखा गया.
हाईकमान की ओर टिकी नजरें
मुख्यमंत्री के कड़े रुख के बाद अब निगाहें दिल्ली स्थित कांग्रेस हाईकमान पर टिकी हैं. सिद्धारमैया जहां पूरे कार्यकाल का संकेत दे रहे हैं, वहीं माना जा रहा है कि डीके शिवकुमार अपने समर्थकों के साथ समझौते को लागू कराने का दबाव बना सकते हैं. शीतकालीन सत्र के समापन के साथ ही कर्नाटक कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं.