डाबर का '100% फ्रूट जूस' का दावा भ्रामक, FSSAI ने कोर्ट को बताया

Published on: 01 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा है कि फ्रूट जूस को "100% फ्रूट जूस" के रूप में प्रचारित करना गैरकानूनी है. यह अपना उत्पाद बेचने की भ्रामक रणनीति है. डाबर की याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में FSSAI ने जून 2024 के अपने आदेश का बचाव किया, जिसमें खाद्य व्यवसाय संचालकों (FBOs) को अपने उत्पादों के लेबल से ऐसे दावे हटाने के लिए कहा गया था.
"100% फ्रूट जूस" का दावा गैरकानूनी
FSSAI ने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया कि "100%" जैसे संख्यात्मक शब्दों का उपयोग खाद्य उत्पादों के लिए मौजूदा खाद्य कानूनों के दायरे से बाहर है. इन दावों को कोई कानूनी मान्यता नहीं है. प्राधिकरण ने कहा कि खाद्य व्यवसायी जब "100% फ्रूट जूस" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह नियमों का उल्लंघन है. यह दावा न केवल गलत है, बल्कि उपभोक्ताओं को भ्रमित भी करता है.
FSSAI का जून 2024 आदेश
FSSAI ने जून 2024 में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें खाद्य व्यवसायियों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने उत्पादों पर "100% फ्रूट जूस" जैसे दावे हटाएं. प्राधिकरण ने बताया कि यह आदेश कोई नया नियम नहीं लाता, बल्कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम, 2018 के मौजूदा नियमों को लागू करता है. इस आदेश का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सही जानकारी देना और भ्रामक प्रचार को रोकना है.
केवल गुणात्मक विवरण की अनुमति
FSSAI ने कहा कि खाद्य कानून केवल गुणात्मक विवरणों को अनुमति देते हैं, जो उत्पाद की प्रकृति और गुणवत्ता को दर्शाते हैं. "100%" जैसे संख्यात्मक दावे स्वाभाविक रूप से भ्रामक हैं. ये दावे उपभोक्ताओं को गलतफहमी में डाल सकते हैं और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं. खासकर उन जूस के लिए जो फ्रूट जूस कॉन्सन्ट्रेट को पानी में मिलाकर बनाए जाते हैं, उन्हें "100% फ्रूट जूस" कहना गलत है.
डाबर की याचिका और FSSAI का जवाब
डाबर ने FSSAI के जून 2024 के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. कंपनी का दावा था कि यह आदेश उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रहा है. जवाब में FSSAI ने कहा कि डाबर की याचिका में कोई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं दिखता. प्राधिकरण ने तर्क दिया कि यह केवल एक व्यावसायिक असुविधा है, जो कानूनी अनुपालन से उत्पन्न हुई है. FSSAI ने जोर देकर कहा कि आर्थिक हितों को संविधान के तहत संरक्षण नहीं मिलता, जब तक कि वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करें.
उपभोक्ता संरक्षण पर जोर
FSSAI ने अपने हलफनामे में बताया कि "100% फ्रूट जूस" जैसे दावे उपभोक्ता संरक्षण और पारदर्शी लेबलिंग से संबंधित कई नियमों का उल्लंघन करते हैं. ये दावे उपभोक्ताओं के सही जानकारी प्राप्त करने के अधिकार को प्रभावित करते हैं. प्राधिकरण का कहना है कि ऐसे भ्रामक दावों से उपभोक्ता गलत उत्पाद चुन सकते हैं, जो उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता.
भविष्य के लिए सबक
FSSAI का यह कदम खाद्य उद्योग में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है. खाद्य व्यवसायियों को अब अपने उत्पादों के लेबल और विज्ञापनों में सावधानी बरतनी होगी. यह नियम न केवल उपभोक्ताओं को सही जानकारी देगा, बल्कि स्वस्थ और नैतिक विपणन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित करेगा.