NCERT ने कक्षा 7 की सोशल साइंस के सिलेबस में किया बड़ा बदलाव, मुगल और दिल्ली सल्तनत की जगह क्या पढ़ाया जाएगा?

Published on: 28 Apr 2025 | Author: Anvi Shukla
NCERT Syllabus Change 2025: नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 2025-26 के शैक्षिक सत्र के लिए कक्षा 7 की सामाजिक विज्ञान की किताबों में बड़े बदलाव किए हैं. इस नए बदलाव के तहत दिल्ली सल्तनत और मुगलों के अध्याय हटा दिए गए हैं, जबकि प्राचीन भारतीय राजवंशों, तीर्थ स्थलों और सांस्कृतिक परंपराओं पर नए अध्याय जोड़े गए हैं.
अब छात्र एक ही किताब 'Exploring Society - India and Beyond (Part 1)' से पढ़ेंगे, जो पहले के इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र के अलग-अलग किताबों की जगह लेगी. किताब का दूसरा भाग बाद में जारी किया जाएगा, जो बाकी के सिलेबस को कवर करेगा.
इतिहास में गुप्त काल तक ही सीमित
पुरानी इतिहास की किताब में 7वीं शताबदी से शुरू होकर दिल्ली सल्तनत और मुगलों के बारे में जानकारी दी जाती थी, लेकिन नई किताब में इतिहास का आखिरी अध्याय गुप्त काल तक ही सीमित है, जो 3वीं से 6वीं सदी के बीच था.
अब छात्र मौर्य साम्राज्य, अशोक के शासन और प्राचीन भारत के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य के बारे में पढ़ेंगे. इसके अलावा शुंग, सतवाहन, चेदि, चोल, पांड्य और चेहरा जैसे प्राचीन भारतीय राजवंशों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी.
दिल्ली सल्तनत और मुगलों का उल्लेख नहीं
नई किताब में दिल्ली सल्तनत, मुगलों और उनके प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में कोई जानकारी नहीं है. यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि किताब के दूसरे भाग में इन विषयों को शामिल किया जाएगा या नहीं. नई किताब में एक नया अध्याय 'How the Land Becomes Sacred' जोड़ा गया है.
जिसमें विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थलों का उल्लेख किया गया है. इसमें हिंदू, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, यहूदी, जोरोस्ट्रियन और सिख धर्म के पवित्र स्थानों के बारे में जानकारी दी गई है.
भारतीय ज्ञान पर जोर
कुंभ मेला का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें 660 मिलियन तीर्थयात्रियों की भागीदारी की बात की गई है. हालांकि, 2013 के कुंभ मेला के भयंकर भगदड़ की घटना का उल्लेख नहीं किया गया है. नई किताब में प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली पर भी अधिक ध्यान दिया गया है.
इसमें कौटिल्य के अर्थशास्त्र, पाणिनी की व्याकरण, आर्यभट के खगोलशास्त्र और गुप्त साम्राज्य के वैज्ञानिक योगदानों का उल्लेख किया गया है.
विवाद का कारण
इन बदलावों को लेकर कई आलोचनाएं भी सामने आई हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि NCERT राजनीति का प्रचार कर रहा है. हालांकि, NCERT के अधिकारी कहते हैं कि यह सिर्फ पहला भाग है और अगले भाग में और बदलाव किए जा सकते हैं.