राजभवन से तनाव के बीच कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक में जोड़ा गया नया चैप्टर, अब केरल के छात्र पढ़ेंगे 'राज्यपाल की शक्तियों' का पाठ

Published on: 04 Jul 2025 | Author: Garima Singh
Kerala Class 10 Social Science: केरल सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में एक नया अध्याय जोड़ा है, जिसमें राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों और जिम्मेदारियों को विस्तार से समझाया जाएगा. शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की. यह निर्णय राज्य सरकार और राजभवन के बीच चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों की पृष्ठभूमि में लिया गया है. शिवनकुट्टी ने बताया कि नया अध्याय सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के दूसरे खंड में "लोकतंत्र: एक भारतीय अनुभव" शीर्षक के अंतर्गत शामिल किया गया है.
इस अध्याय में राज्यपाल की भूमिका, उनके अधिकार, कर्तव्य, और जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया जाएगा. इसके साथ ही, आपातकाल की अवधि और सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में रद्द की गई चुनावी बॉन्ड योजना जैसे महत्वपूर्ण विषयों को भी शामिल किया गया है. मंत्री ने कहा, "इसे सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के दूसरे खंड में लोकतंत्र और भारतीय अनुभव अध्याय के अंतर्गत शामिल किया जाएगा." उन्होंने यह भी जोड़ा कि, "पाठ्यपुस्तकें बहुत जल्द छात्रों तक पहुंच जाएंगी." यह कदम न केवल छात्रों को संवैधानिक ढांचे की गहरी समझ प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली से भी परिचित कराएगा.
तनावपूर्ण राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह बदलाव उस समय सामने आया है, जब केरल सरकार और राजभवन के बीच तनाव चरम पर है. हाल ही में, जून में शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी ने राजभवन में आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम को बीच में छोड़ दिया था. यह विरोध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शैली में प्रदर्शित भारत माता की छवि के खिलाफ था, जिसे राज्य सरकार ने आपत्तिजनक माना. इस घटना ने पहले से ही तल्ख रिश्तों को और गहरा दिया. इसी तरह, विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में कृषि मंत्री पी. प्रसाद ने भी राजभवन के समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया था. इस विवादास्पद छवि के विरोध में सरकार ने राज्य सचिवालय में एक समानांतर कार्यक्रम आयोजित किया, ताकि आगे के टकराव से बचा जा सके.
इतिहास में तनाव का सिलसिला
केरल में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है. पूर्व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और मंत्रिमंडल के साथ उनके रिश्ते अक्सर तनावपूर्ण रहे. कई मौकों पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत केवल औपचारिकताओं तक सीमित रही. उल्लेखनीय है कि जब खान बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के लिए केरल से रवाना हुए, तो उन्हें विदाई देने के लिए न तो मुख्यमंत्री और न ही कोई कैबिनेट मंत्री मौजूद था.
शिक्षा में सुधार की दिशा में कदम
यह नया अध्याय न केवल संवैधानिक जागरूकता को बढ़ावा देगा, बल्कि छात्रों को भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराएगा. केरल सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो भविष्य की पीढ़ियों को देश के संवैधानिक ढांचे के प्रति अधिक जागरूक बनाएगा.