'भारत में 220 मिलियन सम्माननीय मुसलमान...',ओवैसी का पाकिस्तान का समर्थन करने पर तुर्की को संदेश

Published on: 17 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार (17 मई) को तुर्की द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले समर्थन की आलोचना की. साथ ही तुर्की से अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, क्योंकि भारत में मुस्लिम आबादी पाकिस्तान से कहीं अधिक है. एआईएमआईएम प्रमुख ने तुर्की को पाकिस्तान का आंख मूंदकर समर्थन करने के खिलाफ चेतावनी दी और उससे आग्रह किया कि वह कोई भी निर्णय लेने से पहले भारत के साथ अपने गहरे ऐतिहासिक संबंधों को पहचाने.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "तुर्की को पाकिस्तान का समर्थन करने के अपने रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए और हमें तुर्की को यह भी याद दिलाना चाहिए कि इसबैंक नाम का एक बैंक है, जहां पहले जमाकर्ताओं में भारत के लोग शामिल थे, जैसे कि हैदराबाद राज्य और रामपुर राज्य से है भारत के साथ कई ऐतिहासिक संबंध हैं और आपको पता होना चाहिए कि 1990 तक लद्दाख क्षेत्र में तुर्की भाषा पढ़ाई जाती थी."
भारत-तुर्की के ऐतिहासिक रिश्ते
इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत में पाकिस्तान से अधिक मुसलमान हैं और उन्होंने तुर्की को याद दिलाया कि उत्तरी तुर्की के तीर्थयात्री कभी हज के लिए मुंबई पहुंचने के लिए लद्दाख से यात्रा करते थे.
भारत में पाकिस्तान से ज़्यादा मुसलमान हैं- ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "1920 तक उत्तरी तुर्की से लोग लद्दाख आते थे और फिर हज करने के लिए मुंबई जाते थे. हमें तुर्की को लगातार याद दिलाना चाहिए कि भारत में 220 मिलियन सम्माननीय मुसलमान रहते हैं. पाकिस्तान के मुस्लिम देश होने का यह पूरा ढोंग भ्रामक है. भारत में पाकिस्तान से ज़्यादा मुसलमान हैं और पाकिस्तान का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है."
भारत में तुर्की और अज़रबैजान के बहिष्कार की मांग बढ़ी
ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तान के समर्थन के कारण तुर्की का बहिष्कार करने के लिए भारत में आवाज़ें उठ रही हैं. इसके परिणामस्वरूप यात्राएं रद्द हो गई हैं, अकादमिक सहयोग रुक गए हैं और सेलेबी एविएशन का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है.ऑनलाइन विरोध प्रदर्शनों सहित सार्वजनिक आक्रोश ने 2023 के भूकंप के दौरान तुर्की को भारत की सहायता को भी उजागर किया है, जिससे संबंधों की पारस्परिकता पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, अब तक, केंद्र सरकार ने इस स्थिति पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है.
शैक्षणिक सहयोग पर रोक
इस दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जामिया मिलिया इस्लामिया और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) सहित कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने तुर्की और अज़रबैजानी संस्थानों के साथ अकादमिक सहयोग को निलंबित या समाप्त करने के लिए कदम उठाए हैं. एलपीयू ने विशेष रूप से तुर्की और अजरबैजान की कूटनीतिक स्थिति पर चिंता जताते हुए ऐसी सभी साझेदारियों को बंद करने का फैसला किया है, जिन्होंने हाल के भू-राजनीतिक तनावों के बीच पाकिस्तान का पक्ष लिया है.