भारत में इस साल समय से पहले क्यों आया मानसून? अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद या विनाशकारी होगा साबित

Published on: 25 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार, 24 मई 2025 को केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत की घोषणा की, जो सामान्य तारीख 1 जून से आठ दिन पहले हुई. यह चार महीने (जून-सितंबर) तक चलने वाला मानसून भारत में 70 प्रतिशत से ज्यादा सालाना बारिश लाता है, जिससे यह देश के आर्थिक कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण घटना बन जाती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछली बार ऐसा 2009 में हुआ था जब मानसून इतनी जल्दी , 23 मई को आया था. यहां बताया गया है कि मानसून की घोषणा कैसे की जाती है, और इस साल इसका क्या प्रभाव पड़ा.
मानसून की शुरुआत कैसे घोषित होती है?
आईएमडी 10 मई के बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत की घोषणा करता है. इसके लिए कुछ आवश्यक मानदंडों को पूरा करना होता है.
बारिश: यदि मिनिकॉय, अमिनी, तिरुवनंतपुरम, पुनालुर, कोल्लम, अलापुझा, कोट्टायम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझिकोड, थालासेरी, कन्नूर, कुडुलु और मैंगलोर जैसे 14 दक्षिणी मौसम स्टेशनों में से 60% स्टेशन लगातार दो दिनों तक 2.5 मिमी या अधिक वर्षा दर्ज करते हैं.
हवा की स्थिति: पश्चिमी हवाएं 30 से 60 डिग्री अक्षांशों में पश्चिम से पूर्व की ओर चलती हैं. मानसून की शुरुआत के लिए इन हवाओं की गहराई 600 हेक्टोपास्कल (एचपीए) तक होनी चाहिए, और 925 एचपीए पर हवा की गति 15-20 नॉट (27-37 किमी/घंटा) के बीच होनी चाहिए.
आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर): पृथ्वी सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित और परावर्तित करती है, जो वातावरण के तापमान को प्रभावित करता है. नासा के अनुसार, वातावरण में बड़े ऐरोसोल कण कुछ विकिरण को अवशोषित करते हैं, जिससे वातावरण गर्म होता है. भारत के मानसून के लिए सैटेलाइट से प्राप्त ओएलआर मान 200 वाट प्रति वर्ग मीटर से कम होना चाहिए.
यदि ये सभी मानदंड पूरे होते हैं, तो आईएमडी दूसरे दिन के अवलोकन पर केरल में मानसून की शुरुआत घोषित करता है. इस साल, मानसून ने लक्षद्वीप, माहे (पुडुचेरी), अरब सागर, बंगाल की खाड़ी के कई हिस्सों, दक्षिणी कर्नाटक और मिजोरम में एक साथ दस्तक दी.
समय से पहले मानसून के कारण!
इस साल कई बड़े पैमाने के वायुमंडलीय-महासागरीय और स्थानीय कारकों ने मानसून की जल्दी शुरुआत को बढ़ावा दिया.मानसून ने दक्षिण अंडमान सागर और आसपास के क्षेत्रों में 13 मई को दस्तक दी, जो सामान्य तारीख 21 मई से पहले था. आईएमडी ने इसे "अत्यंत अनुकूल" परिस्थितियों में हुई शुरुआत बताया. प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ): यह भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाला एक जटिल महासागर-वायुमंडलीय घटना है, जो भारतीय महासागर से शुरू होती है. इसमें बादल, हवा और दबाव की गड़बड़ी 4-8 मीटर प्रति सेकंड की गति से पूर्व की ओर बढ़ती है. 30 से 60 दिनों में यह हवाएं विश्वभर में चक्कर लगा सकती हैं और मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव लाती हैं. अनुकूल चरण में, यह मानसून के दौरान भारत में वर्षा को बढ़ाता है.
मास्करीन हाई: यह मास्करीन द्वीपों (दक्षिणी हिंद महासागर) के आसपास मानसून के दौरान बनने वाला उच्च दबाव क्षेत्र है. इसकी तीव्रता में बदलाव भारत के पश्चिमी तट पर भारी बारिश के लिए जिम्मेदार होता है.
संवहन गतिविधि: वातावरण में गर्मी और नमी का ऊर्ध्वाधर हस्तांतरण वर्षा लाता है. उदाहरण के लिए, पिछले सप्ताह हरियाणा में एक संवहन प्रणाली दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ी, जिससे दिल्ली में बारिश हुई.
सोमाली जेट: यह मॉरीशस और उत्तरी मेडागास्कर से शुरू होने वाली निम्न-स्तरीय, अंतर-गोलार्धीय हवा है. मई में, यह अफ्रीका के पूर्वी तट को पार करके अरब सागर और भारत के पश्चिमी तट तक पहुंचती है. मजबूत सोमाली जेट मानसून हवाओं को मजबूत करती है.
हीट-लो: गर्मियों में सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में आने से अरब सागर में निम्न दबाव क्षेत्र विकसित होता है. पाकिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में बने इस हीट-लो ने मानसून ट्रफ के साथ नम हवा को खींचने का काम किया, जिससे अच्छी बारिश हुई.
मानसून ट्रफ: यह निम्न दबाव का एक लंबा क्षेत्र है, जो हीट-लो से लेकर उत्तरी बंगाल की खाड़ी तक फैला होता है. इसका उत्तर-दक्षिण में हिलना जून-सितंबर के दौरान मुख्य मानसून क्षेत्र में वर्षा का कारण बनता है. दबाव ढाल और अरब सागर में चक्रवाती गठन (मानसून ऑनसेट वोर्टेक्स) ने भी अच्छे मानसून की शुरुआत में भूमिका निभाई.
मानसून ने किन क्षेत्रों को कवर किया?
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने जोरदार शुरुआत की, जिसमें दक्षिण-पश्चिम और पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण और मध्य अरब सागर, केरल, लक्षद्वीप और माहे शामिल हैं. इसने पूर्वोत्तर भारत (मिजोरम), दक्षिणी और तटीय कर्नाटक और तमिलनाडु (उत्तरी क्षेत्रों को छोड़कर) में भी समय से पहले दस्तक दी. सामान्यतः मानसून मध्य केरल को पार करके 5 जून के आसपास कर्नाटक पहुंचता है, लेकिन इस साल यह 10 दिन पहले आया.
रविवार (25 मई) को, शुरुआत के दूसरे दिन, मानसून ने पश्चिम-मध्य और पूर्व-मध्य अरब सागर, कर्नाटक के और हिस्सों, गोवा, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, पश्चिम-मध्य और उत्तरी बंगाल की खाड़ी, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड के कुछ हिस्सों में प्रवेश किया. मानसून की उत्तरी सीमा (नॉर्दर्न लिमिट ऑफ मानसून) अब देवगढ़, बेलगावी, हावेरी, मांड्या, धर्मपुरी, चेन्नई, आइजोल और कोहिमा से होकर गुजरती है.