'PM मोदी सीजफायर का ऐलान करते तो...', असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछ लिए 4 तीखे सवाल

Published on: 10 May 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
Asaduddin Owaisi: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते के बाद अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं के बयान आ रहे हैं. इस सीजफायर का ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया. इसी बात को लेकर कुछ राजनेता नाखुश हैं. उनका मानना है कि अगर सीजफायर के युद्धविराम की बात भारत का कोई नेता करता या खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते तो बहुत अच्छा रहता. इसी को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार से चार सवाल पूछे हैं.
पाकिस्तान ने सीजफायर के 3 घंटे बाद ही इसका उल्लंघन कर दिया है. उसने अखनूर और नौशेरा में भारी गोलीबारी की. दूसरी ओर उधमपुर में पाकिस्तान के ड्रोन देखे गए.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह सही है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है. सीजफायर हो या ना हो, हमें पहलगाम हमले के आतंकवादियों का पीछा करना चाहिए.
मैं भारत के सैनिकों को नमन करता हूं- ओवैसी
ओवैसी ने कहा, "मैं हमेशा सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहा हूँ, जब बात बाहरी आक्रमण की होती है. यह समर्थन जारी रहेगा. मैं सशस्त्र बलों को उनकी बहादुरी और उत्कृष्ट कौशल के लिए धन्यवाद देता हूँ. मैं सेना के जवान म. मुरली नाइक, एडीसी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और उन सभी नागरिकों के लिए प्रार्थना करता हूँ जो संघर्ष में मारे गए या घायल हुए."
As long as Pakistan uses its territory for terrorism against India, there can be no permanent peace. #Ceasefire or no ceasefire we must pursue the terrorists responsible for #Pahalgam attack.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 10, 2025
I have always stood by the government & the armed forces against external aggression.…
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह सीजफायर सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत देगा. मैं यह भी आशा करता हूँ कि भारतीय और भारतीय राजनीतिक दल पिछले दो हफ्तों से कुछ सीखें: भारत तब मजबूत होता है जब यह एकजुट होता है; हमारे दुश्मन तब लाभान्वित होते हैं जब भारतीय, भारतीयों से लड़ते हैं."
असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछे 4 सवाल
ओवैसी ने पहला सवाल करते हुए लिखा- "मुझे लगता है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही सीजफायर का ऐलान करना चाहिए था, न कि किसी विदेशी देश के राष्ट्रपति को. हम हमेशा से तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी के खिलाफ रहे हैं, जैसा कि 1972 के शिमला समझौते में कहा गया था. अब हम इसे क्यों स्वीकार कर रहे हैं? मुझे आशा है कि कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं उठाया जाएगा, क्योंकि यह हमारा आंतरिक मामला है."
ओवैसी ने दूसरा सवाल करते हुए लिखा- "हम एक तटस्थ क्षेत्र में बातचीत क्यों स्वीकार कर रहे हैं? इन वार्ताओं का एजेंडा क्या होगा? क्या संयुक्त राज्य अमेरिका यह गारंटी देता है कि पाकिस्तान अपनी जमीन का उपयोग आतंकवाद के लिए नहीं करेगा?"
ओवैसी ने तीसरा सवाल करते हुए लिखा- "क्या हमने पाकिस्तान को भविष्य में आतंकवादी हमले करने से रोकने के अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है? क्या हमारा उद्देश्य ट्रंप के द्वारा मध्यस्थता कराकर सीजफायर करवाना था या हमें पाकिस्तान को इस स्थिति में लाना था कि वह अगला आतंकवादी हमला करने के बारे में सोच भी न सके?"
उन्होंने आगे लिखा- "हमें पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान जारी रखना चाहिए."