Dalai lama Successor: अगले दलाई लामा को लेकर तिब्बत ने चीन को दिया तगड़ा झटका, भारत के सपोर्ट में आने के बाद किया ये काम

Published on: 04 Jul 2025 | Author: Mayank Tiwari
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने दलाई लामा के उत्तराधिकार पर चीन के दावों पर कड़ा सवाल उठाया. उन्होंने बीजिंग के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप और अगले तिब्बती आध्यात्मिक नेता के चयन पर उसके दावे को खारिज किया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के इस आग्रह पर कि दलाई लामा का पुनर्जनन 'गोल्डन अर्न' प्रक्रिया के तहत होना चाहिए, त्सेरिंग ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “यह चीनी सरकार को तय करना है कि क्या वह सरकार, जो धर्म में विश्वास नहीं करती, तिब्बती लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना चाहती है; न केवल हमारा देश कब्जा करना, बल्कि हमें कई चीजें थोपना, जिसमें हमारे आध्यात्मिक नेता को चुनने की धार्मिक स्वतंत्रता भी शामिल है.”
#WATCH | Dharamshala, Himachal Pradesh: On China's statement on the successor of Dalai Lama, Penpa Tsering Sikyong, President of the Central Tibetan Administration, says, "...That's for the Chinese Government to decide whether that Government does not believe in religion wants to… pic.twitter.com/iyZXgvGYZ1
— ANI (@ANI) July 4, 2025
चीन का 'गोल्डन अर्न' दावा
उन्होंने आगे कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, और चीनी सरकार हमेशा कुछ न कुछ कहती रहती है. वे कह रहे हैं कि हमने परंपरा तोड़ी. चीनी सरकार किस परंपरा की बात कर रही है? गोल्डन अर्न? यह तो 1793 में, 18वीं सदी के अंत में शुरू हुआ था. उससे पहले 8 दलाई लामा हुए. क्या वे दलाई लामा नहीं थे क्योंकि तब गोल्डन अर्न नहीं था?”
भारत का समर्थन
तिब्बती प्रशासन के इस बयान से पहले केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि अगले दलाई लामा का चयन केवल वर्तमान दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म की धार्मिक परंपराओं पर निर्भर है. रिजिजू ने कहा, “दलाई लामा बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक संस्थान हैं. और जो लोग दलाई लामा का अनुसरण करते हैं, वे मानते हैं कि पुनर्जनन का निर्णय स्थापित परंपराओं और स्वयं दलाई लामा की इच्छा के अनुसार होना चाहिए. इसके अलावा किसी और को यह तय करने का अधिकार नहीं है.
”दलाई लामा की घोषणा
इस सप्ताह की शुरुआत में, दलाई लामा ने सार्वजनिक रूप से अपने उत्तराधिकार की योजना पर बात की थी. उन्होंने घोषणा की कि उनके द्वारा स्थापित गैर-लाभकारी संस्था, गदेन फोड्रांग ट्रस्ट, को उनके भविष्य के पुनर्जनन को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार होगा. इसके जवाब में, चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दावा किया कि दलाई लामा का पुनर्जनन “घरेलू मान्यता के सिद्धांतों, ‘गोल्डन अर्न’ प्रक्रिया और केंद्र सरकार की मंजूरी के अनुसार होना चाहिए, जो धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप है.
जानिए क्या हैं ”ऐतिहासिक संदर्भ?
चीन द्वारा पारंपरिक प्रणाली के रूप में उल्लिखित 'गोल्डन अर्न' व्यवस्था को 1793 में किंग राजवंश के दौरान शुरू किया गया था. यह उच्च-स्तरीय तिब्बती लामाओं के चयन के लिए लागू की गई थी, लेकिन त्सेरिंग ने इसे तिब्बती परंपराओं का हिस्सा मानने से इनकार किया.