ट्रंप ने खींच लिए हाथ, रूस-यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करने से किया इनकार, कहा- 'यह हमारा युद्ध नहीं'

Published on: 02 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए शांति वार्ता में अब अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका नहीं निभाएगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह बड़ा ऐलान किया.
अब मध्यस्थ की भूमिका नहीं निभाएगा अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि अमेरिका अब रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी भूमिका बदल रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका आगे चलकर इस युद्ध में मध्यस्थ की जिम्मेदारी नहीं लेगा. ब्रूस ने कहा कि अमेरिका हर बार दुनिया भर में बैठकें आयोजित करने के लिए तैयार नहीं रहेगा. यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस नाराजगी को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने युद्ध को खत्म करने में प्रगति की कमी पर सवाल उठाए थे.
'यह हमारा युद्ध नहीं'
विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने गुरुवार रात कहा कि रूस-यूक्रेन का युद्ध अमेरिका का युद्ध नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को जल्द से जल्द आपसी समझौता करना होगा. रूबियो ने यह भी चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो राष्ट्रपति ट्रम्प को यह तय करना होगा कि अमेरिका इस शांति प्रक्रिया में कितना समय और संसाधन लगाएगा.
रूस और यूक्रेन पर जिम्मेदारी
टैमी ब्रूस ने कहा कि अब यह युद्ध रूस और यूक्रेन के बीच का मामला है. दोनों देशों को ठोस योजना बनानी होगी कि इस युद्ध को कैसे खत्म करना है. अमेरिका का मानना है कि अब इन दोनों देशों को खुद आगे बढ़कर शांति के लिए कदम उठाने चाहिए. यह फैसला इस बात को दर्शाता है कि अमेरिका अब इस संघर्ष में सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहता.
ट्रम्प प्रशासन की कोशिशें
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए एक मध्यम रास्ता तलाश रहा है. उन्होंने स्वीकार किया कि यह युद्ध जल्दी खत्म होने वाला नहीं है. वेंस ने यह भी कहा कि वह शांति वार्ता में सफलता की उम्मीद रखते हैं, लेकिन अंतिम फैसला रूस और यूक्रेन को ही लेना होगा. उन्होंने इस प्रक्रिया में पूरी तरह भरोसा जताने में असमर्थता जताई, क्योंकि दोनों देशों को खुद आखिरी कदम उठाना है.
वैश्विक प्रभाव
अमेरिका का मध्यस्थता से हटना रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान को और जटिल बना सकता है. यह युद्ध 2022 से चल रहा है और इससे न केवल दोनों देश, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति भी प्रभावित हुई है. अमेरिका के इस फैसले से अन्य देशों, जैसे यूरोपीय राष्ट्रों, पर शांति प्रक्रिया में अधिक जिम्मेदारी लेने का दबाव बढ़ सकता है.