Iran Nuclear Deal: 'अंजाम भुगतने को तैयार रहें', ईरान से तेल खरीद पर ट्रंप का अल्टीमेटम; डील ठप

Published on: 02 May 2025 | Author: Ritu Sharma
Iran Nuclear Deal: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को लेकर एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है. ट्रंप ने साफ चेतावनी दी है कि जो भी देश या व्यक्ति ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल खरीदेगा, उस पर तुरंत अमेरिकी द्वितीयक प्रतिबंध (सेकेंडरी सैंक्शन) लगाए जाएंगे.
उन्होंने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ' पर लिखा, ''ईरानी तेल या पेट्रोकेमिकल उत्पादों की सभी खरीद अब बंद होनी चाहिए! कोई भी देश या व्यक्ति जो ईरान से किसी भी मात्रा में तेल या पेट्रोकेमिकल खरीदता है, उस पर तुरंत द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे. उन्हें किसी भी तरह, आकार या रूप में अमेरिका के साथ व्यापार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद.''
परमाणु वार्ता टली, ट्रंप का दबाव तेज
दरअसल, यह बयान ऐसे समय आया है जब ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु डील पर अप्रत्यक्ष वार्ता फिर से स्थगित कर दी गई है. चौथे दौर की बातचीत रोम में होनी थी, लेकिन पोप फ्रांसिस के निधन के चलते वेटिकन में नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया के कारण बातचीत टाल दी गई. यह फैसला ओमान की मध्यस्थता से लिया गया था.
ईरान ने कूटनीति से पीछे हटने से किया इनकार
बता दें कि ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बघई ने कहा कि तेहरान कूटनीतिक रास्ते से अपने वैध और कानूनी हितों की रक्षा करता रहेगा और वह अमेरिका के प्रतिबंधों व दबावों के खिलाफ डटा रहेगा.
'नो डील तो एयरस्ट्राइक' - ट्रंप की धमकी
वहीं ट्रंप की रणनीति बेहद साफ है, या तो ईरान उनकी शर्तों पर डील करे या गंभीर नतीजे भुगते. ट्रंप प्रशासन पहले ही ईरान के खिलाफ 'अधिकतम दबाव' की नीति अपना चुका है. उन्होंने चेताया कि अगर डील नहीं हुई तो ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हवाई हमले भी किए जा सकते हैं.
हालांकि, ईरान ने भी पलटवार करते हुए संकेत दिया है कि अगर अमेरिका ने अपना रुख नहीं बदला, तो वे हथियार-स्तर का एनरिच्ड यूरेनियम स्टॉक कर सकते हैं और न्यूक्लियर हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
2015 की डील और ट्रंप का यू-टर्न
गौरतलब है कि 2015 में अमेरिका सहित कई वैश्विक शक्तियों ने ईरान के साथ एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था, जिसमें तेहरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को सीमित किया गया था. लेकिन 2018 में ट्रंप ने एकतरफा अमेरिका को इस डील से बाहर निकाल लिया, जिससे तनाव फिर बढ़ गया.