युद्धविराम तक कैसे पहुंचे भारत और पाकिस्तान? दोनों देशों के DGMO के बीच हुई सीधी बात

Published on: 10 May 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
India and Pakistan Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति एक अप्रत्याशित लेकिन महत्वपूर्ण मोड़ था, जो दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच सीधी बातचीत के बाद संभव हुआ. इस प्रक्रिया में पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारत के अपने समकक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से शनिवार दोपहर को संपर्क किया. यह बातचीत दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और संघर्ष विराम की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुई.
पाकिस्तान के डीजीएमओ (Directors General Of Military Operations) ने भारत को संघर्ष विराम की पेशकश की, और भारत ने इसका सकारात्मक जवाब दिया. दोनों देशों के बीच हो रही गोलीबारी और हवाई हमलों के बीच यह एक बड़ा संकेत था कि दोनों पक्ष शांति की ओर बढ़ने के लिए तैयार थे. यह सीधी बातचीत भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में कारगर साबित हुई.
अमेरिका का दबाव और युद्ध विराम का रास्ता
अमेरिकी सरकार और अन्य देशों ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया था, लेकिन दोनों देशों के विदेश मंत्रियों या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई. सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्ट था कि संघर्ष विराम की शुरुआत पाकिस्तानी आतंकवादी हमले के बाद हुई थी, जो 7 मई को भारत ने पाकिस्तान और पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर लक्षित हमले किए थे.
अमेरिका ने पाकिस्तान पर संघर्ष विराम की अपील की थी और कहा था कि इस प्रक्रिया में उनका समर्थन पाकिस्तान के लिए वित्तीय सहायता से जुड़ा हो सकता है, खासकर IMF से होने वाली सहायता पैकेज के संदर्भ में. इस दबाव ने पाकिस्तान को शांति की दिशा में कदम बढ़ाने को प्रेरित किया.
भारत की स्थिति और कड़े संदेश
भारत ने साफ कर दिया कि यह संघर्ष विराम केवल एक आपसी सहमति थी और इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक बातचीत या शिखर सम्मेलन की बात नहीं की गई. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने सुरक्षा मामलों में पूरी तरह से आत्मनिर्भर रहेगा. इसके अलावा, भारत ने यह निर्णय लिया था कि वह सिंधु जल संधि से बाहर निकलने का विचार करेगा, और आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाएगा.
भारत का उद्देश्य "ऑपरेशन सिंदूर" के माध्यम से पाकिस्तान को यह संदेश देना था कि भारत अपनी सीमाओं और सुरक्षा के प्रति पूरी तरह गंभीर है और पाकिस्तान के द्वारा किए गए आतंकवादियों के समर्थन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भारत ने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि भविष्य में कोई भी आतंकवादी हमला हुआ, तो इसे युद्ध का कृत्य माना जाएगा.