पाकिस्तान के हाथ से निकला बलूचिस्तान! बलूच नेता रज्जाक बलूच के विस्फोटक खुलासे से हिल गया इस्लामाबाद

Published on: 16 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान अभी उबर भी नहीं पाया था कि बलूच स्वतंत्रता आंदोलन ने नई ताकत के साथ उभरकर इस्लामाबाद के लिए चुनौती खड़ी कर दी है. बलूच नेताओं ने स्वतंत्र 'बलूचिस्तान गणराज्य' की घोषणा कर भारत और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता और समर्थन की अपील की है. यह घोषणा सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से ट्रेंड कर रही है, जो संप्रभुता की मांग और पाकिस्तानी प्राधिकरण के खिलाफ विद्रोह का प्रतीक है.
स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रमुख बलूच नेता मीर यार बलोच ने स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए कहा, "बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है." सोशल मीडिया पर #RepublicOfBalochistan जैसे हैशटैग के साथ प्रस्तावित राष्ट्रीय ध्वज और नक्शे की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. मीर ने भारत के प्रति समर्थन जताते हुए कहा, "आप अकेले नहीं हैं, नरेंद्र मोदी. आपके साथ 60 मिलियन बलूच देशभक्तों का समर्थन है." यह बयान भारत के ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद के तनाव के संदर्भ में आया है. बलूच नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय शांति सेना की तैनाती और बलूचिस्तान से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की वापसी की मांग की है.
Breaking News Straight from PoB:
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) May 10, 2025
10 May 2025, @hyrbyair_marri@FreeBaluchMovt@DrSJaishankar@rajnathsingh
Solidarity Has No Borders.
The people of the Democratic Republic of Balochistan come to show their full support to the people of #Bharat.
China is helping Pakistan, but… pic.twitter.com/8JPD9PNKh6
पाकिस्तान का कमजोर नियंत्रण
बलूच अमेरिकन कांग्रेस के महासचिव रज्जाक बलोच ने दावा किया कि पाकिस्तानी प्रशासन ने बलूच क्षेत्र के बड़े हिस्से पर नियंत्रण खो दिया है. उन्होंने टैग टीवी से कहा, "पाकिस्तानी सेना क्वेटा में भी अंधेरा होने के बाद बाहर नहीं निकल सकती." उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारी भी इस स्थिति को स्वीकार कर चुके हैं, क्योंकि सेना सुरक्षा चिंताओं के कारण शाम 5 बजे से सुबह 5 बजे तक गश्त नहीं करती. रज्जाक का दावा है कि पाकिस्तान ने क्षेत्र के 70-80% हिस्से पर नियंत्रण खो दिया है.
भारत और वैश्विक समर्थन की अपील
रज्जाक ने भारत और अमेरिका जैसे वैश्विक शक्तियों से बलूच संघर्ष का समर्थन करने की अपील की है. उन्होंने कहा, "अगर भारत हमारा समर्थन करता है, तो हमारे दरवाजे खुल जाएंगे." उन्होंने चेतावनी दी कि समर्थन में देरी से "बर्बर सेना" को और ताकत मिलेगी, जो क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करेगी. रज्जाक ने पाकिस्तानी सेना को गरिमा के साथ वापसी की सलाह दी, वरना "बांग्लादेश जैसी स्थिति होगी, जहां केवल उनके जूते पीछे छूटेंगे."
जानिए बलूचिस्तान का ऐतिहासिक संघर्ष!
बता दें कि, बलूच स्वतंत्रता आंदोलन की जड़ें 1947 में हैं, जब ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद कलात रियासत ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी. साल 1948 में पाकिस्तान ने इसे जबरन अपने कब्जे में लिया, जिसे बलूच राष्ट्रवादी कभी स्वीकार नहीं करते हैं. बलूचिस्तान की गैस और खनिज संपदा का शोषण और स्थानीय लोगों को गरीबी में रखने के खिलाफ दशकों से आक्रोश है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर हमले तेज कर दिए हैं.
PAK पर लगे मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है, जहां बुनियादी ढांचे और मीडिया की पहुंच सीमित है. सैन्य दमन, जबरन गायब करने और हत्याओं के कारण मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. इधर, बलूच नेताओं का कहना है कि उनका संघर्ष शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए है.