पूर्व प्रधानमंत्री को उनके घर से किया गया किडनैप, एक दर्जन हथियारबंद सैनिकों ने घर से जबरदस्ती किया अगवा

Published on: 16 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
चाड के पूर्व प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ सरकार के आलोचक सुक्से मसरा को शुक्रवार तड़के उनके घर से सैन्य बल द्वारा जबरन ले जाया गया. उनकी पार्टी, लेस ट्रांसफॉर्मेटर्स (द ट्रांसफॉर्मर्स) ने इस घटना की पुष्टि की है. मसरा मई 2024 तक चाड के प्रधानमंत्री रहे और राष्ट्रपति महमत इद्रिस देबी इट्नो के खिलाफ कट्टर प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे थे. मसरा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही से चाड में लोकतांत्रिक स्थान के सिकुड़ने की चिंता बढ़ जाएगी, जहां सरकार अक्सर प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाती है और उस पर मीडिया संगठनों की कार्य करने की क्षमता को प्रतिबंधित करने का आरोप है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में कहा गया, "सुक्से मसरा को आज, 16 मई को सुबह 5:56 बजे सैन्य बल द्वारा उनके घर से अपहरण कर लिया गया." यह घर उनकी पार्टी का मुख्यालय भी है. पोस्ट के साथ एक असत्यापित वीडियो भी शेयर किया गया, जिसमें मसरा को लगभग एक दर्जन सशस्त्र सैनिकों के बीच उनके निवास से बाहर ले जाते हुए दिखाया गया है. इस घटना ने चाड की राजनीति में हलचल मचा दी है.
मसरा और देबी का टकराव
सुक्से मसरा ने मई 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में महमत देबी के खिलाफ हिस्सा लिया था. जहां पर देबी को 61.3% वोट मिले, जबकि मसरा को 18.5% वोट प्राप्त हुए. मसरा ने अपनी जीत का दावा किया था, जिसके बाद से वह देबी के सबसे बड़े критик बन गए. देबी 2021 में अपने पिता, इद्रिस देबी इट्नो की मौत के बाद सेना द्वारा अंतरिम राष्ट्रपति बनाए गए थे. उनके पिता ने 30 साल तक चाड पर शासन किया था.
हालांकि, चुनाव के प्रारंभिक परिणामों की आधिकारिक घोषणा से पहले, मसरा ने जीत का दावा किया था और आरोप लगाया था कि चुनावी धोखाधड़ी की योजना बनाई जा रही है. उन्होंने महामत इदरीस देबी के शपथ ग्रहण से पहले ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. चाड पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में सैनिक शासन के नेतृत्व वाले राज्यों में से पहला राज्य था, जिसने हाल के वर्षों में हुए तख्तापलटों के बाद चुनाव आयोजित किये.
विवादास्पद सत्ता और चुनाव
देबी ने 18 महीने की लोकतांत्रिक संक्रमण प्रक्रिया का वादा किया था, लेकिन इसे दो साल के लिए बढ़ा दिया गया. इस दौरान कई विपक्षी नेता देश छोड़कर भाग गए, चुप करा दिए गए या देबी के साथ शामिल हो गए. वहीं, दिसंबर 2023 में नए संविधान को जनमत संग्रह में मंजूरी मिली, जिसके बाद मई 2024 में देबी को राष्ट्रपति चुना गया. हालांकि,अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने इस चुनाव को अविश्वसनीय बताया था.