आतंकियों को भारत के खिलाफ ट्रेनिंग और हथियार ...IMF से मिले लोन का क्या कर सकता है पाकिस्तान?

Published on: 16 May 2025 | Author: Sagar Bhardwaj
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जब भी संकट में फंसती है, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) डॉलर की बौछार के साथ उसका उद्धार करने पहुंच जाता है. हाल ही में आईएमएफ द्वारा प्रदान किए गए 1 अरब डॉलर के ऋण ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया है, खासकर कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में. इसी बीच इस तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पाकिस्तान आईएमएफ से मिले इस फंड का क्या कर सकता है?
पाकिस्तान को 2.1 अरब डॉलर जारी
इस ऋण के साथ, आईएमएफ के विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) कार्यक्रम के तहत अब तक 2.1 अरब डॉलर जारी किए जा चुके हैं. इसके अतिरिक्त, 1.4 अरब डॉलर की राशि रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फेसिलिटी (आरएसएफ) के तहत दी गई है, जो जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए है. यह धन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, भारी कर्ज, गिरते रुपये और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव को कम करने के लिए है.
धन के आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल होने की आशंका
आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की बैठक में भारत ने इस फैसले का समर्थन नहीं किया और मतदान से दूरी बनाए रखी. भारतीय वित्त मंत्रालय ने चेतावनी दी कि इस तरह के धन का दुरुपयोग सैन्य या आतंकी गतिविधियों के लिए हो सकता है. मंत्रालय ने कहा, “आईएमएफ की प्रक्रिया में उचित सुरक्षा उपायों का अभाव है.”
सशर्त दिया गया है बेलआउट पैकेज
इन्फोमेरिक्स वेल्युएशन एंड रेटिंग्स के डॉ. मनोरंजन शर्मा ने कहा, “यह बेलआउट सशर्त है: सब्सिडी में कटौती, करों का विस्तार, रुपये की गिरावट रोकना और युद्ध को समाप्त करना. लेकिन पाकिस्तान का पिछला रिकॉर्ड देखें तो यह धन जिम्मेदारी से उपयोग होने की उम्मीद कम है.” उन्होंने आगे कहा, “आईएमएफ की अपनी रिपोर्ट बताती है कि बार-बार बेलआउट ने पाकिस्तान को कर्ज के दुष्चक्र में धकेल दिया है.”
अब तक 24 बार मिला बेलआउट
1958 से अब तक पाकिस्तान ने 24 बार आईएमएफ से बेलआउट लिया है, फिर भी उसकी आर्थिक समस्याएं बरकरार हैं. विशेषज्ञ इसे संरचनात्मक कमियों और कमजोर शासन का परिणाम मानते हैं. शर्मा ने चेतावनी दी, “पाकिस्तान की आर्थिक अराजकता और धन के दुरुपयोग की कहानी को देखते हुए आईएमएफ के फंड की सतत निगरानी जरूरी है.”