शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से किया बहिष्कृत, कहा- उन्होंने मनुस्मृति का किया अपमान

Published on: 06 May 2025 | Author: Gyanendra Tiwari
Jyotirmath Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand excommunicated Rahul Gandhi from Hinduism: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा के नेता विपक्ष राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर दिया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार मनुस्मृति का अपमान करने की वजह से शंकराचार्य ने राहुल गांधी को बहिष्कृत किया.
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मनुस्मृति भारतीय सनातन धर्म की आधारशिला है और राहुल गांधी ने लोकसभा की कार्रवाही में इसका अपमान किया. शंकराचार्य ने यह भी कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को माफी मांगने के लिए नोटिस भी जारी किया गया था लेकिन अभी तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
माफी के लिए जारी किया नोटिस लेकिन राहुल का नहीं आया जवाब- शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ धाम के शंकराचार्य ने कनखल के मठ में घोषणा करते हुए कहा, "राहुल गांधी को शंकराचार्य मठ हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर रहा है."
उन्होंने आगे कहा, "शंकराचार्य मठ की ओर से उन्हें इस संबंध में नोटिस भी जारी किया गया था और माफी मांगने को कहा गया था. लेकिन उन्होंने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया. इसलिए उन्हें शंकराचार्य मठ से हिंद धर्म से बहिष्कृत किया जा रहा है."
राहुल गांधी ने मनुस्मृति को लेकर क्या कहा था?
इस साल संसद की कार्रवाही के दौरान राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए कहा था कि बीजेपी संविधान को नहीं बल्कि मनुस्मृति को फॉलो करती है. सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने अपनी हाथरस यात्रा का भी जिक्र था जब वह रेप पीड़िता के परिवार से मिलने गए थे.
राहुल गांधी ने कहा था, ""अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं और लड़की का परिवार घर में कैद है. संविधान में कहां लिखा है कि अपराधी खुलेआम घूमेंगे? यह तो आपकी किताब मनुस्मृति में लिखा है."
उन्होंने कहा था, "आज भारत में एक ऐसी लड़ाई चल रही है, जिसमें हमारे पास संविधान के विचार के रक्षक हैं. हर राज्य से हमारे पास एक है. तमिलनाडु से हमारे पास पेरियार हैं, महाराष्ट्र से हमारे पास ज्योतिबा फुले हैं, गुजरात से हमारे पास गांधी हैं. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने सार्वजनिक रूप से इन हस्तियों की प्रशंसा की, लेकिन वे वास्तव में चाहते थे कि भारत उसी तरह चले जैसा पहले चलता था."