'सत्ता के लालची हैं एकनाथ शिंदे', डिप्टी सीएम के 'जय गुजरात' का नारा लगाने पर भड़के एनसीपी नेता का बयान

Published on: 04 Jul 2025 | Author: Mayank Tiwari
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार (4 जुलाई) को पुणे में एक कार्यक्रम में अपने भाषण को “जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात” के नारों के साथ समाप्त किया. इस दौरान उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा की. शिंदे के ‘जय गुजरात’ नारे ने विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया. एनसीपी (एसपी) नेता क्लाइड क्रैस्टो ने शिंदे पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह “सत्ता के लालची” हैं, क्योंकि अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से हैं.
शिंदे के नारे पर विवाद
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का यह बयान ऐसे समय में आया जब महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर तनाव बढ़ रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं द्वारा मुंबई में दुकानदारों पर कथित तौर पर मराठी न बोलने के लिए हमला करने के वायरल वीडियो ने विवाद को हवा दी. शिंदे के ‘जय गुजरात’ नारे ने इस मुद्दे को और भड़का दिया. विपक्ष ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताकर शिंदे पर हमला बोला.
જય શ્રી કૃષ્ણ @mieknathshinde જી,
— Clyde Crasto - क्लाईड क्रास्टो 🇮🇳 (@Clyde_Crasto) July 4, 2025
કેમ છો ?
सत्तेच्या हव्यासा पोटी, जय गुजरात???🤔#EknathShinde
फडणवीस का शिंदे को समर्थन
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे का बचाव करते हुए कहा, “केवल इसलिए कि शिंदे ने ‘जय गुजरात’ कहा, इसका मतलब यह नहीं कि वे महाराष्ट्र से ज्यादा गुजरात से प्यार करते हैं. इस तरह की संकीर्ण सोच मराठी लोगों को शोभा नहीं देती.” फडणवीस ने मराठी भाषा का सम्मान करने की बात दोहराई, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि भाषा के नाम पर हिंसा या गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
एमएनएस पर शिवसेना का पलटवार
शिंदे की शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने एमएनएस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “क्या मराठी भाषा के लिए लड़ने का अधिकार केवल एमएनएस के पास है? अगर कोई कानून को अपने हाथ में लेकर मजदूर वर्ग को राजनीतिक या आर्थिक लाभ के लिए निशाना बनाता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.” सरनाइक ने जोड़ा, “हम भी अपनी मराठी और हिंदुत्व पहचान पर गर्व करते हैं. व्यापारियों को धमकाने की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मैंने पुलिस को कार्रवाई करने को कहा था, और उन्होंने ऐसा किया है.
हिंदी भाषा नीति का विवाद
यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब बीजेपी नीत सरकार ने राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने की कोशिश की थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया. आगामी नागरिक चुनावों से पहले यह मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में नया तनाव पैदा कर सकता है.