इस देश के पास महासागरों में लग रही है 'आग', दुनिया की बड़ी आबादी पर मंडराया खतरा

Published on: 02 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
विश्व के महासागर दो विशिष्ट क्षेत्रों में तेजी से गर्म हो रहे हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और चरम मौसम की घटनाओं को लेकर चिंता बढ़ रही है. इस बीच जलवायु वैज्ञानिक डॉ. केविन ट्रेनबर्थ के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन ने इन क्षेत्रों को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में 40 डिग्री अक्षांश के पास स्थित के रूप में चिह्नित किया है.
जर्नल ऑफ क्लाइमेट में छपी रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी बैंड, जो 40 से 45 डिग्री दक्षिण के बीच स्थित है, सबसे तेजी से गर्म हो रहा है. ऐसे में यह विशेष रूप से न्यूजीलैंड, तस्मानिया और अर्जेंटीना के पूर्व में अटलांटिक जल में देखा गया. जबकि, उत्तरी गोलार्ध में, 40 डिग्री उत्तर के आसपास का बैंड प्रभावित है, जहां उत्तरी अटलांटिक में अमेरिका के पूर्व और उत्तरी प्रशांत में जापान के पूर्व में सबसे अधिक गर्मी दर्ज की गई.
रिसर्च पर क्या बोले ऑकलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर?
इस बीच ऑकलैंड विश्वविद्यालय और नेशनल सेंटर ऑफ एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCAR) से जुड़े ट्रैनबर्थ ने कहा, "यह बहुत चौंकाने वाली बात है. "जलवायु डेटा से इतना साफ पैटर्न सामने आना असामान्य है. रिसर्च से पता चला है कि महासागरों के गर्म होने से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होता है , वायुमंडल में जल वाष्प (एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस) का स्तर बढ़ता है और तूफानी बारिश और चरम मौसम की घटनाएं में तेजी आई हैं. 2005 के बाद से, ये गर्म बैंड जेट स्ट्रीम के ध्रुवीय बदलाव और महासागरीय धाराओं में परिवर्तन के साथ विकसित हुए हैं.
पारिस्थितिकी और मौसम पर प्रभाव
वैज्ञानिकों ने 2000 से 2023 के बीच 2000 मीटर की गहराई तक 1-डिग्री अक्षांश स्ट्रिप्स में महासागरीय और वायुमंडलीय डेटा का विश्लेषण किया है. गर्मी की मात्रा को 2000-2004 के आधार पर ज़ेटाजूल में मापा गया. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (10 डिग्री उत्तर से 20 डिग्री दक्षिण) में भी गर्मी में वृद्धि देखी गई, हालांकि एल नीनो-दक्षिणी दोलन के कारण ये कम साफ थे. रोचक रूप से, दोनों गोलार्धों में 20 डिग्री अक्षांश के पास उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी की अनुपस्थिति देखी गई.
ग्रीनहाउस गैसों की भूमिका
ट्रेनबर्थ ने जलवायु परिवर्तन में ग्रीनहाउस गैसों की भूमिका पर जोर दिया, यह नोट करते हुए कि परिणामी गर्मी मुख्य रूप से महासागरों द्वारा अवशोषित होती है. उन्होंने प्राकृतिक परिवर्तनशीलता के संभावित प्रभाव को भी स्वीकार किया.