पूर्व IAS 'पूजा खेडकर आतंकी और ड्रग माफिया नहीं', पूर्व ट्रेनी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार

Published on: 21 May 2025 | Author: Mayank Tiwari
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (21 मई) को पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दे दी है. दरअसल, पूजा खेडकर पर साल 2022 में सिविल सेवा परीक्षा के लिए दस्तावेजों में जालसाजी और ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर कोटा का दुरुपयोग करने का आरोप है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "वह ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं है. वह एनडीपीएस अपराधी नहीं है. आपके पास सिस्टम या सॉफ्टवेयर होना चाहिए. जांच पूरी करें. उसने सब कुछ खो दिया है और उसे कहीं नौकरी नहीं मिलेगी."
दिल्ली HC को याचिकाकर्ता को जमानत देनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि दिल्ली हाई कोर्ट को याचिकाकर्ता को जमानत देनी चाहिए थी. न्यायमूर्तियों की पीठ ने कहा, "मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह एक ऐसा मामला है जहां दिल्ली हाई कोर्ट को याचिकाकर्ता को जमानत देनी चाहिए थी."
दिल्ली पुलिस ने जमानत देने पर जताई आपत्ति
दिल्ली पुलिस ने पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत का कड़ा विरोध किया. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि खेडकर जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की आपत्तियों को खारिज करते हुए जमानत देने का फैसला सुनाया.
जानें पूजा खेडकर पर क्या हैं आरोप?
पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) परीक्षा के लिए अपने परिवार की आय और अन्य विवरणों को गलत तरीके से पेश किया. उन्होंने कथित तौर पर ओबीसी और दिव्यांग कोटा के तहत छूट प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेज पेश किए. वहीं, जांच में पता चला कि खेडकर के पिता, जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी हैं, जोकि 40 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. इस वजह से वह ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर के लिए पात्र नहीं थीं.
यूपीएससी और सरकार ने क्या लिया एक्शन
इस मामले का संज्ञान आते ही यूपीएससी ने पूजा खेडकर की चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया और उन्हें आजीवन इस प्रतिष्ठित परीक्षा में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने पिछले साल उन्हें सभी कर्तव्यों से मुक्त कर दिया.
विवाद की कब हुई शुरुआत!
पिछले साल जून में पूजा खेडकर तब चर्चा में आईं, जब पुणे कलेक्टर सुहास दिवसे ने महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक को पत्र लिखकर खेडकर की कार, स्टाफ और कार्यालय की मांग की शिकायत की थी. इसके बाद खेडकर का तबादला वाशिम कर दिया गया.